नक्सली हिंसा वाले 108 गावों में जनगणना नहीं

रायपुर नक्सली हिंसा के कारण दंतेवाड़ा
जिले के 108 गांवों में जनगणना नहीं हो पाएगी। इन गांवों में नक्सलियों का
आतंक है और प्रशासन का अमला वहां तक पहुंच नहीं सकता। किसी तरह पहुंच भी
जाए तो उनको जनगणना का काम करते नहीं बनेगा।

दंतेवाड़ा कलेक्टर रीना कंगाले ने राज्य शासन को इस संबंध मंे सूचना
भेज दी है। राज्य शासन की ओर से केंद्र सरकार को भी इससे अवगत करा दिया
गया है। जनगणना के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कठोर नियमों का
दंतेवाड़ा जिले में पालन करना संभव नहीं होगा।

नक्सली गतिविधियों के कारण इस जिले में प्रशासन को पीछे हटना पड़ा है।
इस तरह देश के सबसे बड़े अभियान से छत्तीसगढ़ के 100 से अधिक गांव शामिल
नहीं हो पाएंगे। वैसे इसी तरह की स्थिति बीजापुर जिले के भी कुछ गांवों
में है। बीजापुर के कितने गांव में जनगणना नहीं हो पाएगी, इसका खुलासा
एक-दो दिन मंे हो जाएगा।

दंतेवाड़ा जिले के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों ने अपना
साम्राज्य स्थापित कर लिया है। प्रशासन के आम कर्मचारियों की बात तो दूर
वहां पुलिस वाले भी अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर पाते। नक्सलियों ने चेतावनी
दी है कि प्रशासन का अमला उन गांवों में आया तो वापस लौटकर नहीं जाएगा।

नक्सलियों की चेतावनी देशव्यापी जनगणना कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न कर
दी है। वैसे कहा जा रहा है कि इन 108 गांवों के अलावा करीब 255 गांवों मंे
भी नक्सली गतिविधियों के कारण जनगणना कार्य प्रभावित हो सकता है।

नारायपणपुर जिले में जनगणना मंे लगे कर्मचारियों ने इस काम को पूरा
करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। इसके लिए तर्क दिया गया है कि एक-एक
आदमी को कई किलोमीटर क्षेत्र में जनगणना करनी है, इसलिए निर्धारित समय में
इसकी गणना नहीं की जा सकती। उल्लेखनीय है कि देश में पहली बार बायोमीट्रिक
आधार पर जनगणना कराई जा रही है। इसमंे छत्तीसगढ़ के 100 से अधिक गांवों का
उल्लेख नहीं होगा।

अभी असंभव : कंगाले
दंतेवाड़ा कलेक्टर रीना कंगाले ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों मंे वहां
जनगणना संभव नहीं है। सामान्य परिस्थिति होने पर ही इन गांवों में जनगणना
कराई जा सकती है।

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