बिक्रमगंज
[रोहतास, चंद्रमोहन चौधरी]। बच्चों ने कूड़ा चुनना छोड़ दिया है। उनके बोरे
में अब किताब-कापियों ने जगह बना ली है। शाम चार बजते ही सभी बच्चे जूली
की राह ताकने लगते हैं। हम बात कर रहे हैं रोहतास जिले के बिक्रमगंज के
महादलित टोले की। जहां स्नातक की छात्रा जूली इस टोले में शिक्षा की
ज्योति जलाने में तन्मयता से जुटी है। उसके प्रयास का आसपास के टोलों में
असर दिख रहा है। कुछ समय पहले तक कूड़े के ढेर से सामान चुनने वाले बच्चे
अब अक्षर ज्ञान के महत्व को धीरे-धीरे समझने लगे हैं।
नगर के नटवार रोड़ में पीडीएस दुकान चलाकर परिवार की गाड़ी खींच रहे
अभय कुमार की छठी पुत्री जूली का झुकाव शुरू से ही शिक्षा की ओर रहा है।
जूली को अपनी पांच बड़ी बहनों की पढ़ाई पूरी नहीं करने का आज भी मलाल है।
कहती हैं, नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था के बावजूद मुहल्ले के अन्य बच्चों
की तरह मेरी बहनें भी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं। इसे देख मैंने ठाना कि इस
मुहल्ले में छाये अशिक्षा के अंधेरे को दूर करुंगी।
प्रारंभ में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। न बच्चों की रुचि पढ़ाई
में थी, ना ही अभिभावक दिलचस्पी ले रहे थे। फिर भी हार नहीं मानी। आज
बच्चों में भी शिक्षा की ललक जग गई है। कहती है, शुरुआत में हमें किसी तरह
का सहयोग नहीं मिला। पिछले वर्ष मुहल्ले में उत्प्रेरण केंद्र खोला गया।
पढ़ाने की जिम्मेदारी मुझे दी गयी। इस योजना से हमें काफी बल मिला है।
जूली के पिता ने बताया कि बच्चों को पढ़ाने की हसरत हमारे दिल में भी थी।
सभी का नामांकन भी कराया।