इसे कहते हैं पत्थर पर दूब उगाना

डोरीगंज,
सारण [श्रीराम तिवारी]। अगर मन में हौसला हो तो कुछ भी असंभव नहीं है।
विजय किशोर चौरसिया इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। विपरीत मौसम में देसी
तकनीक के सहारे मशरूम का उत्पादन कर वे किसानों के रोल माडल बन गए है।
सारण के सदर प्रखंड अंतर्गत भैरोपुर निजामत गांव निवासी यह किसान 40
डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान में प्रतिदिन चार से पांच किग्रा मशरूम का
उत्पादन कर रहा है। विजय की इस सफलता पर कृषि वैज्ञानिक भी हैरान है।

आर्थिक विपन्नता के दौर में छह माह पूर्व 45 वर्षीय विजय ने मशरूम
उत्पादन करने का फैसला लिया। बगैर प्रशिक्षण के उच्च तापमान में मशरूम का
उत्पादन पत्थर पर दूब उगाने के जैसा ही है। उन्होंने मशरूम बेड के छप्पर
पर पुआल डाल रखा है। दीवारों पर घास-फूस के ताट सजाए है। जिन पर दिन में
तीन बार पानी स्प्रे कर शेड में 14 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान बनाए
रखकर मशरूम का उत्पादन कर रहे है। विजय ने पहले प्रशिक्षण लेने की सोची
थी, लेकिन उन्हे जिले में मशरूम की खेती का तरीका बताने का कोई विशेषज्ञ
नहीं मिला।

काफी कोशिश के बाद वैशाली फ्रेश फ्रूट वेजिटेबल इंडस्ट्री हाजीपुर के
निदेशक एसके वर्मा ने उन्हें मशरूम की खेती की तकनीक बताई। पत्नी मंजू
देवी इस काम में उनका संबल बनीं और पुत्र ओशो तथा पुत्री रूबी ने हाथ
बटाया। उन्होंने स्वयं एक-एक ईट जोड़कर पहले शेड तैयार किया। मशरूम लैब
दिल्ली से 23 सौ रुपये का बीज मंगाया और खेती शुरू की। बीज डालने के तीन
माह बाद मशरूम आ जाने चाहिए थे, लेकिन चार माह गुजर गए और बेड में एक दाना
तक नहीं निकला। गांव वाले उन्हें पागल कहने लगे और परिवार के लोग भी निराश
हो गए, लेकिन उन्होंने आशा का दामन नहीं छोड़ा और मशरूम निकलने की
प्रतीक्षा करते रहे।

इसी बीच वे दिल्ली से आए एक विशेषज्ञ से पटना में मिले। जिन्होंने
उन्हे पुन: स्ट्रेलाइज करने की सलाह दी। घर आकर उन्होंने ऐसा किया भी और
विशेषज्ञ के बताए अनुसार एक सप्ताह तक इंतजार किया, लेकिन बेड में मशरूम
नहीं दिखा। इसी बीच एक दिन चुकन्दर की सिंचाई के क्रम में उन्होंने शेड से
लेकर बेड तक को पानी से तर कर डाला। दूसरे दिन ही बेड में मशरूम के दाने आ
गए। यह देखकर उनका हौसला बढ़ा और उन्होंने फिर पानी डाला। पानी डालने के
बाद मशरूम पूरी तरह उग आये। जिससे चार दिन में ही आठ किग्रा मशरूम की उपज
हुई। फिर वे सपरिवार इस खेती में लग गए, लेकिन अप्रैल माह के शुरू होते ही
बढ़े तापमान ने फसल पर विपरीत प्रभाव डालना शुरू कर दिया। जिस पर उन्होंने
हाजीपुर में विशेषज्ञ वर्मा से संपर्क किया।

विशेषज्ञ वर्मा ने उन्हें बताया कि 14 से 22 डिग्री तापमान में ही
मशरूम की खेती सम्भव है। इस तापमान को बनाने के लिए उन्होंने एसी व कूलर
लगाने की सलाह दी, लेकिन उनकी आर्थिक हालात ने इसकी इजाजत नहीं दी। बावजूद
इसके उन्होंने मशरूम उत्पादन की जिद नहीं छोड़ी। धीरे-धीरे सफलताने उनके
कदम चूमे। आज स्थानीय किसान ही नहीं वरन कोल्ड स्टोरेज के मालिक भी उनसे
संपर्क साध रहे है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *