कांकेर
[छत्तीसगढ़]। देश में नक्सल विरोधी अभियान के लिए पहली बार मानव रहित
विमान [यूएवी] का परीक्षण किया गया। अमेरिकी कंपनी के एक यूएवी ने यहां
बुधवार रात से गुरुवार सुबह तक नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में पहाड़ियों
और घने जंगल के ऊपर उड़ान भरी। अमेरिकी सेना अफगानिस्तान और पाकिस्तान में
अलकायदा व तालिबान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में इसी तरह के ड्रोन विमान
सफलतापूर्वक इस्तेमाल करती रही है।
दंतेवाड़ा में 6 अप्रैल को नक्सलियों द्वारा 76 सुरक्षाकर्मियों की
हत्या के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नक्सल विरोधी अभियान में यूएवी के
इस्तेमाल का फैसला किया है। यह सुरक्षा बलों को नक्सली गतिविधियों की
पल-पल की जानकारी देगा जिसके आधार पर वे नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई
करेंगे।
अमेरिकी कंपनी हनीवेल द्वारा निर्मित इस यूएवी का वजन सिर्फ दस
किलोग्राम है। इसे बुधवार रात काउंटर टेररिज्म एंड जंगल वेलफेयर कालेज
[सीटीजेडब्ल्यूसी] से उड़ाया गया और यह कांकेर की पहाड़ियों व बीहड़ों के ऊपर
गुरुवार तड़के तक उड़ता रहा। इस परीक्षण उड़ान को छत्तीसगढ़ और गृह मंत्रालय
के अधिकारियों के अलावा उड़ीसा, बिहार, झारखंड और आंध्र प्रदेश के पुलिस
अधिकारियों ने भी देखा। परीक्षण के दौरान यूएवी ने उस इलाके में जमीन पर
होने वाली किसी भी गतिविधि की तस्वीर मुहैया कराने के साथ ही इंप्रोवाइज्ड
एक्सप्लोसिव डिवाइस [आईईडी] और अन्य विस्फोटक कहां रखे हैं, इसके भी संकेत
भेजे।
इस यूएवी को टी-एमएवी [माइक्रो एयर व्हीकल] के रूप में जाना जाता है।
इसकी निर्माता कंपनी हनीवेल ने अधिकारियों को बताया कि यह पांच मिनट से भी
कम समय में किसी अभियान को अंजाम दे सकता है। यह दस हजार फीट की ऊंचाई तक
जा सकता है और 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। यह धरती
पर मौजूद नियंत्रण कक्ष को 240 मिनट तक तस्वीरें भेज सकता है। रात भर चले
इस परीक्षण के दौरान इसकी घने अंधेरे जंगल में लक्ष्यों की पहचान करने की
क्षमता परखी गई। यूएवी कुछ बारूदी सुरंगों के संकेत सही तरीके से नहीं भेज
पाया। इसकी जगह उसने केवल जमीन पर कुछ गड़बड़ी का संकेत दिया।
भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] ने भी ऐसा ही यूएवी
बनाने का दावा किया है। उसका परीक्षण भी शीघ्र होने की संभावना है। दो साल
पहले डीआरडीओ के यूएवी परीक्षण के संतोषजनक परिणाम नहीं मिले थे।