नई
दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। हरियाणा व पंजाब के ग्रामीणों को इस गर्मी में
पीने के पानी की किल्लत से जूझना पड़ सकता है। केंद्र से उन्हें दरकार तो
थी अधिक से अधिक वित्तीय मदद की, लेकिन उन्हें मुट्ठीभर मदद से संतोष करना
पड़ेगा। पंजाब में भूजल के लगातार नीचे खिसकने से जहां पहले से लगे नलकूप
खराब हो गए हैं, वहीं हरियाणा के ज्यादातर इलाकों में भूजल खारा होने से
पीने लायक नहीं है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पंजाब के गांवों में स्वच्छ पेयजल
आपूर्ति के लिए जहां 10 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, वहीं हरियाणा को
सिर्फ दो करोड़ रुपये की मदद। जबकि इन दोनों राज्यों में भूजल खतरनाक स्तर
से नीचे पहुंच चुका है। पंजाब में पेयजल आपूर्ति के लिए स्थापित नलकूप
पहले ही फेल हो चुके हैं, जिनमें दोबारा बोरिंग की जरूरत है। राज्य सरकार
ने पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त मदद की गुहार की है।
उत्तर भारत के इन दोनों राज्यों ने पेयजल आपूर्ति की अपनी मुश्किलों
से केंद्र को पहले ही आगाह कर दिया था। हरियाणा के लिए केंद्रीय ग्रामीण
विकास मंत्रालय ने सिर्फ दो करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। राज्य के
ज्यादातर हिस्सों का भूजल इतना खारा है कि उसे पेयजल के काम में नहीं लाया
जा सकता है। ऐसी जगहों पर पेयजल आपूर्ति के लिए अत्यधिक धन की जरूरत है।
जबकि राजस्थान की सीमा से लगे इलाकों में पीने के पानी की भारी किल्लत है।
वहां भूजल का स्तर बहुत नीचे है।
राज्य के मेवात जैसे पिछड़े इलाके में पीने के पानी के लिए लोग कोसों
दूर तक भटकना पड़ता है। 500 गांवों के पेयजल की एक परियोजना सालों से धन के
अभाव में अटकी पड़ी है। इसी तरह शिवालिक क्षेत्र में भी पेयजल आपूर्ति की
समस्या गंभीर हुई है। पिछले साल बारिश न होने से पंजाब व हरियाणा में भूजल
और नीचे खिसका है।