नई
दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मुख्यमंत्रियों के
कोर ग्रुप की पहली बैठक राशन के कम अनाज आवंटन को लेकर केंद्र व राज्यों
के बीच खींचतान का अखाड़ा बन सकती है। हालांकि कोर ग्रुप की यह पहली बैठक
महंगाई पर काबू पाने के नुस्खे तलाशने के लिए बुलाई गई है। गुरुवार को इस
बैठक में जब प्रधानमंत्री और 10 राज्यों के मुख्यमंत्री महंगाई के मुद्दे
पर आमने- सामने होंगे तो आवश्यक वस्तु अधिनियम और एपीएल कोटे के मुद्दे पर
बवाल मचना तय है। पीडीएस की खामियों पर आरोप प्रत्यारोप भी लग सकते हैं।
बैठक के एजेंडे के मुताबिक खेती की उत्पादकता बढ़ाने जैसे मुद्दे पर
चर्चा होनी है। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से कृषि को को
प्रोत्साहित करने की नीतियों को प्रमुखता देने पर भी विचार विमर्श किया
जाएगा। खाद्यान्न आपूर्ति बढ़ाने के उपायों पर जहां चर्चा होगी, वहीं राशन
प्रणाली की खामियों को फिर दुहराया जाएगा।
राशन प्रणाली के पूरे तंत्र में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए
राज्यों के कंधों पर और जिम्मेदारियां डाली जा सकती हैं, वहीं कोर ग्रुप
में शामिल राज्यों के मुख्यमंत्री गरीबी रेखा से ऊपर यानी एपीएल वर्ग के
सामान्य उपभोक्ताओं का अनाज कोटा बहाल करने पर जोर देंगे। खाद्य मंत्रालय
ने तीन साल पहले एपीएल वर्ग के कोटे में जबर्दस्त कटौती कर दी थी। इसे
लेकर राज्य समय-समय पर अपनी नाराजगी का इजहार करते रहते हैं।
कोर ग्रुप में अनाजों की सरकारी खरीद में केंद्र के साथ राज्यों को भी
उनके दायित्वों पर चर्चा होनी तय है। राज्यों के समक्ष यह तथ्य भी रखा
जाएगा कि प्रशासनिक कमजोरियों के चलते खुदरा व थोक कीमतों में भारी अंतर
रहता है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के सख्त प्रावधानों को एक-एक कर हटा दिया
गया है, जिससे यह कानून जमाखोरों व मुनाफाखोरों के खिलाफ कारगर नहीं रह
गया है। जबकि महंगाई रोकने की जिम्मेदारी राज्यों के कंधों पर डाली जा रही
है। बैठक में राज्यों की ओर से इस कानून के कड़े प्रावधानों को बहाल करने
की मांग उठ सकती है।