मुरैना
[मप्र]। चंबल के बीहड़ों में प्रचुर मात्रा में पाई जानेवाली ‘बीजा’ की
लकड़ी से बने गिलास के पानी को मधुमेह पीड़ित मरीजों के लिए रामबाण औषधि
होने का दावा किया जा रहा है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि बीजा की लकड़ी से
बने गिलास में पानी भरकर रात भर रखा जाता है और फिर सुबह उसका लगातार सेवन
करते रहने से मधुमेह पीड़ित मरीज को काफी राहत मिल जाती है।
बीजा की लकड़ी मध्यप्रदेश में चंबल के सिर्फ श्योपुर जिले में ही मिलती
है। मधुमेह पीड़ित मरीज इस अनूठे गिलास का जमकर उपयोग कर रहे हैं। श्योपुर
जिले के खरादी बाजार में बीजा की लकड़ी से गिलास बनाए जाते हैं। इस बाजार
से ये गिलास देश के कोने कोने में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक भी भेजे जाते
हैं। गिलास विक्रेताओं का दावा है कि मधुमेह पीड़ित मरीजों के परिचित व
रिश्तेदार इसे यहां से देश के अन्य शहरों व विदेशों तक भेजते है।
जानकारों का कहना है कि बीजा के गिलास में पानी पीने से बिना दवा के
ही मधुमेह पीड़ित मरीज को फायदा होने लगता है। आयुर्वेदाचार्य डा. एसआर
शर्मा के अनुसार बीजा की लकड़ी से बने गिलास में रात भर पानी भरकर रखने के
बाद सुबह उसका सेवन करने से मधुमेह पीड़ित मरीज का शर्करा स्तर ठीक हो जाता
है। यह प्रक्रिया लगातार तीन माह तक चलती रहने पर पीड़ित मरीज को बगैर दवा
भी काफी कुछ फायदा दिखने लगता है। डा. शर्मा के मुताबिक बीजा की लकड़ी पानी
से क्रिया कर इंसुलिन बनाती है और मधुमेह पीड़ित मरीज जब इस पानी का लगातार
सेवन करता है तो उसकी पेंक्रियाज सक्रिय होने लगती है और इंसुलिन बनने से
मधुमेह के रोगी को फायदा होता है।
दूसरी तरफ मेडीसिन विशेषज्ञ डा. के के गुप्ता कहते हैं कि बीजा की
लकड़ी के तने में कुछ ऐसे रस हो सकते है जो पानी में घुलकर उसका सेवन करने
पर पीड़ित मरीज को कुछ समय तक फायदा पहुंचा सकते हों, लेकिन यह मधुमेह का
कारगर इलाज नहीं है। सामान्य मधुमेह मरीज को कुछ समय तक यह फायदा कर सकता
है, लेकिन इंसुलिन आधारित मरीजों को ऐसे इलाज से बचना चाहिए। डा.गुप्ता
कहते है कि उनके पास भी कई पीड़ित मरीज बीजा की लकड़ी से बने गिलास का पानी
पीने की सलाह लेने आते है, लेकिन वे उन्हें दवा बंद करने की इजाजत नहीं
देते।
वैसे जानकारों के अनुसार बीजा के गिलास में रात में पानी भरकर रख दिया
जाता है और सुबह खाली पेट उसी पानी को पीने से मधुमेह के रोगी को काफी
फायदा होता है। बीजा की खासियत यह है कि उसमें भरा पानी सुबह तक पूरी तरह
से रंग बदलकर नीला हो जाता है। इस नीले पानी के नियमित सेवन से बिना दवा
के ही मधुमेह जैसे रोग में काफी फायदा दिखने का दावा किया जाता है। दावा
तो यहां तक किया जाता है कि बीजा गिलास के पानी का सेवन करते रहने से
मधुमेह होने की आशंका भी खत्म हो जातीहै।