के कमजोर और पिछड़े वर्ग के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत निजी
स्कूलों की पहली कक्षा में 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश के लिए अभी एक साल
इंतजार करना होगा। राज्य में इस कानून का यह प्रावधान 1 अप्रैल, 2011 से
लागू होगा।
वजह यह है कि कुछ निजी स्कूल प्रबंधकों ने अपनी प्रवेश प्रक्रिया 31
मार्च तक पूरी कर लेने का तर्क दिया था, लेकिन इसी बीच केंद्र व राज्य
सरकार ने यह फैसला लिया कि अगले साल एक अप्रैल से कोई स्कूल इस कानून को
लागू नहीं करेगा तो उसकी मान्यता समाप्त हो जाएगी। फिर भी कोई स्कूल काम
जारी रखता है तो उस पर एक लाख का जुर्माना होगा और उसके बाद हर दिन एक
हजार रुपए का जुर्माना देना होगा। उधर राज्य सरकार ने कानून के बाकी
प्रावधानों को लागू करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
स्कूली शिक्षा के प्रमुख सचिव ललित पंवार ने बताया कि अनिवार्य शिक्षा
के तहत प्रत्येक एक किलोमीटर की परिधि में प्राथमिक, 3 किमी की परिधि में
मिडिल तथा 5 एवं 10 किलोमीटर की परिधि में सेकंडरी एवं सीनियर सेकंडरी
स्कूल का प्रावधान है। शिक्षा के अधिकार की प्रभावी क्रियान्विति के लिए
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित कमेटी की गई है।
कमेटी तय करेगी कि इसे विभिन्न स्तरों के सरकारी और निजी स्कूलों में
किस प्रकार लागू किया जाए। पंवार ने बताया कि राज्य के सभी निजी स्कूलों
को एक वर्ष के अंदर मान्यता लेना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर विभाग
कार्रवाई करेगा। स्कूलों में बच्चों की पिटाई प्रतिबंधित करने के लिए भी
जल्द ही आदेश जारी किए जाएंगे। राज्य में शिक्षा के अधिकार के तहत उठाए
जाने वाले सभी मामलों की मॉनिटरिंग एसएसए आयुक्त करेंगी।
सरकारी शिक्षकों के ट्यूशन लेने पर लगेगा प्रतिबंध
राज्य में बच्चों के मुफ्त अनिवार्य शिक्षा कानून की भावना को देखते
हुए नए शिक्षा सत्र से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के ट्यूशन को पूरी तरह
प्रतिबंधित कर दिया है। बच्चों को ट्यूशन के लिए उकसाने पर संबंधित शिक्षक
के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा की दिशा में
शिक्षा विभाग ने यह कदम उठाया है। इसकी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।
स्कूली शिक्षा के प्रमुख सचिव के अनुसार ट्यूशन प्रतिबंधित करने के लिए
जल्द ही आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
इसी साल खर्च होंगे 500 करोड़ रुपए
प्रदेश में अनिवार्य शिक्षा विधेयक लागू करने में करीब 500 करोड़ इसी
साल खर्च होने की संभावना है। केंद्र अगले तीन साल में 6000 करोड़ रुपए
देगा। 3 साल में राज्य को करीब 35 हजार स्कूल और 70 हजार से ज्यादा
शिक्षकों की जरूरत होगी। इनमें 15 हजार प्राइमरी, 15 हजार मिडिल, 3 हजार
सेकंडरी एवं 2 हजार सीनियर सेकंडरी स्कूलों की जरूरत होगी।