अब खेल-खेल में होगी बच्चों की पढ़ाई

रायपुर.राज्य की आठ हजार शालाओं में
प्रयोग के तौर पर पिछले साल लागू की गई मल्टीग्रेड शिक्षा प्रणाली का
विस्तार किया जा रहा है। नए शैक्षणिक सत्र में और आठ हजार स्कूलों को
योजना के दायरे में लाया जा रहा है। इसमें बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा
दी जाती है। तमिलनाडू में इसे पहली बार शुरू किया गया था। वहां मिली सफलता
के बाद अब यही प्रयोग छत्तीसगढ़ की सरकारी स्कूलों में किया गया।

शासकीय स्कूलों में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की तेजी से बढ़ती जा रही
संख्या को देखते हुए इस योजना को लागू करने की जरूरत महसूस की गई। नई
पध्दति से प्रायमरी स्कूलों के कोर्स में किताबों और अन्य गतिविधियों को
जोड़ा जाएगा। इसमें बच्चों को किताबों के साथ अन्य सामग्री दी जाएगी,
जिसमें बच्चे चित्रों के साथ महत्वपूर्ण बातें सीख सकेंगे। पढ़ाई का यह
नया फंडा बच्चों को भी खूब भा रहा है।

फामरूले को लागू करने से पहले शिक्षकों को भी ट्रेनिंग दी गई है। पिछले
और इस साल योजना में शामिल किए गए स्कूलों की संख्या 32 हजार है। शिक्षा
सचिव नंद कुमार ने बताया कि इस पध्दति से पढ़ाई और आसान हो जाएगी। बच्चे
स्कूल में बैठकर कई काम की बातें सीख सकते हैं। इस वजह से इसे सभी
प्रायमरी स्कूलों में लागू किया जा रहा है। शिक्षा सचिव के अनुसार इस
पध्दति को कई विदेशी स्कूलों में भी अपनाया जा रहा है।

ये होंगे फायदे
आमतौर पर किसी भी स्कूल में शिक्षक केवल एक ही पाठ पढ़ाता है, बच्चे की
रुचि उसमें न होने के बावजूद उसे पढ़ना पड़ता है। अब ऐसा नहीं होगा। बच्चे
उसी पाठ को दूसरी किताबों में सचित्र पढ़ सकेंगे। बच्चे पीरियड नहीं बल्कि
खुद की सुविधा के अनुसार पढ़ सकेंगे। नई पध्दति में एक कक्षा में बच्चों
के कई ग्रुप बनाए जाएंगे। उनकी रुचि के अनुसार उन्हें किताबें दी जाएंगी।
इससे बच्चे आपस में भी पढ़ाई कर सकेंगे। बच्चों को बस्तों के बोझ से
मुक्ति के साथ ही पढ़ाई के तनाव से भी छुटकारा मिलेगा।

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