मुंबई।
बढ़ते दामों पर चिंतित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय रिजर्व बैंक
[आरबीआई] से महंगाई पर नियंत्रण लगाने वाली नीतियां बनाने को कहा है।
प्रधानमंत्री ने गुरुवार को केंद्रीय बैंक के प्लैटिनम जुबली समापन समारोह
को संबोधित करते हुए कहा कि आरबीआई की ये नीतियां ऐसी हों, जिससे नौ फीसदी
से ऊंची विकास दर की राह भी आसान बने। प्रधानमंत्री ने रिजर्व बैंक को यह
सलाह ऐसे समय दी है, जब वह जल्दी ही सालाना मौद्रिक नीति पेश करने वाला
है। आरबीआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुद्रास्फीति पर नियंत्रण की होगी,
जो करीब दहाई अंक में पहुंच रही है।
मनमोहन वर्ष 1982-85 के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके हैं।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मौद्रिक व राजकोषीय नीतियों को यह
सुनिश्चित करना होगा कि महंगाई काबू में रहे, क्योंकि इसका सबसे अधिक असर
आम आदमी पर पड़ता है। साथ ही यह विकास दर की राह का भी रोड़ा बनती है।
फरवरी, 2010 में थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर 9.89 फीसदी थी।
आरबीआई सालाना मौद्रिक नीति इस माह की 20 तारीख को पेश करेगा।
आर्थिक संकट पर उन्होंने कहा कि औद्योगिक देशों के मुकाबले भारत बेहतर
बचत और निवेश दर के बलबूते मंदी के बाद और मजबूत होकर उभरा है। मनमोहन का
मानना है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना [2007-12] के अंत तक भारतीय
अर्थव्यस्था 9 फीसदी विकास दर हासिल कर लेगी। इसके बाद अर्थव्यवस्था और
बेहतर प्रदर्शन करेगी। प्रधानमंत्री ने राजकोषीय घाटे की स्थिति को लेकर
चिंता जताई, जो पिछले दो वर्ष में काफी ऊंचा हो गया है। पिछले वित्तीय
वर्ष 2009-10 में यह सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 प्रतिशत के बराबर रहा।
उन्होंने ग्लोबल वित्तीय संकट के प्रभावों से निपटने में रिजर्व बैंक की
भूमिका की भी सराहना की।