शिलांग।
महंगाई की दर भले ही सरपट चढ़ रही हो, पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को
भरोसा है कि इसमें जल्द कमी आएगी। वित्त मंत्री ने शनिवार को कहा कि रबी
फसलों की कटाई के बाद खाद्यान्न सामग्रियों के दामों में गिरावट आएगी।
उन्होंने माना कि कुछ जिंसों के उपलब्ध न होने के कारण महंगाई बढ़ी है।
इसमें आपूर्ति में बाधा एक बड़ी वजह है।
मुखर्जी ने कहा कि देश को 1.8 करोड़ टन दाल की जरूरत है, जबकि उत्पादन
सिर्फ 1.4 करोड़ टन होता है। 40 लाख टन दाल का आयात करना पड़ता है। बहुत कम
ऐसे देश हैं जो दालों का उत्पादन करते हैं और अंतरराष्ट्रीय कीमतें बहुत
ऊंची हैं। यही हाल चीनी का है। इसमें करीब 90 लाख टन की कमी है। खाद्य तेल
की भी ऐसी ही स्थिति है। करीब 20 लाख टन खाद्य तेल का आयात करना पड़ता है।
फरवरी में मासिक मुद्रास्फीति की दर 9.89 प्रतिशत पर पहुंच गई। पिछले
16 महीनों का यह उच्चतम स्तर था। वहीं 20 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान
थोक मूल्य आधारित खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 16.35 प्रतिशत हो गई। महंगाई
के बढ़ने में पेट्रोल और डीजल के बढ़े हुए दामों ने अहम भूमिका निभाई।
लेकिन वित्त मंत्री ने साफ कर दिया है कि पेट्रोल और डीजल की मूल्यवृद्धि
को वापस नहीं लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 127
डालर प्रति बैरल तक पहुंचे थे तब पेट्रोलियम पदार्थो पर लागू शुल्कों को
कम कर दिया गया था। पर, अब जब कच्चे तेल के दाम नीचे आ गए हैं, तो
रियायतों को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं बनता है।
26 फरवरी को आम बजट में पेट्रोलियम पदार्थो पर उत्पाद एवं सीमा शुल्क
को बढ़ा दिया गया था। उसी रात पेट्रोल के दाम करीब 2.70 रुपये और डीजल के
दाम करीब ढाई रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गए थे।