नवादा
[वरुणेंद्र कुमार]। लड़कियां सहनशील होती हैं। हालात से जल्दी समझौता कर
लेती हैं। दर्द होने पर भी मुंह से कभी उफ नहीं करतीं। इन्हीं
परिस्थितियों में उनके सपने टूट कर बिखर जाते हैं। ऐसा ही कुछ देखने को
मिला मेसकौर प्रखंड में संचालित कस्तूरबा विद्यालय में। खाने को अधजली
रोटी, पीने को कुएं का पानी, नहाने की भी समस्या, सोने को फर्श, फिर भी सब
ठीक।
सोमवार को जब जागरण टीम कस्तूरबा आवासीय विद्यालय पहुंची यही हालत वही
देखने को मिली। ऐसी ही हालत और हालात के बारे में पूर्व में भी सुनने को
मिलता था। उम्मीद थी नये भवन में आने के बाद इस विद्यालय की हालत और हालात
में सुधार नजर आएगा।
गौरतलब है कि डीएम के आदेश से कुछ दिन पहले ही इस नये भवन में छात्राओं का प्रवेश हुआ था।
इस नये भवन के आंगन तक पहुंचते ही हल्की बदबू..। आगे बढ़ने पर ‘भनसा’
मिला। वहां दो दाई भोजन बनाने में जुटीं थीं। एक कोयले की आंच पर रोटी
सेंक रही थी। दूसरी सब्जी काट रही थी। रोटी सेंक रही महिला का साथ एक लड़की
दे रही थी। पूछने पर पता चला कि वह यहां की छात्रा है। स्कूल जा रही मैडम
की बिटिया का टिफिन तैयार कर रही है। मैडम विद्यालय की पूर्णकालिक
शिक्षिका हैं।
मीडियाकर्मियों के साथ रहे प्रधान जी के इशारे पर छात्रा वहां से खिसक
गई। प्रधान लाला प्रसाद ने बारी-बारी से सभी कमरों का निरीक्षण कराया।
पूछने पर छात्राओं ने भी कहा- कोई दिक्कत नहीं है सर। अब भला सबके सामने
छात्राएं अपरिचित से अपना दुखड़ा क्या बतायें। वैसे भी सरकार ने क्या-क्या
सुविधाएं दे रखी हैं, यह भी छात्राओं को नहीं पता। फिर भी सब कुछ नहीं छिप
सका। छात्राएं तो बस हालात से समझौता कर यहां रम गयी हैं। कुछ दिनों पूर्व
ही दर्जनभर छात्राएं विद्यालय से निकाली जा चुकी हैं।
प्रधान जी ने बताया कि सभी छात्राएं भाग जातीं थीं। इसलिए उन्हें हटा
दिया गया है। कुल जमा तीन वर्ग की छात्राएं यहां रह रही हैं। चलते-चलते
प्रधान जी ने कहा कि कमियों को दूर कर छात्राओं के सोने के लिए चौकी, पीने
के पानी आदि का प्रबंध भी कर लिया जाएगा।