दुधवा पार्क में प्यास से जूझते जानवर

पलिया
कला [खीरी]। मौसम का मिजाज जैसे-जैसे गर्म होता जा रहा है उसी तरह
प्राकृतिक जल स्त्रोत भी सूखते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के वन्य जीव
अभ्यारण्य दुधवा टाइगर रिजर्व के जल स्त्रोत अभी से सूखने लगे हैं। मई-जून
में इन प्राकृतिक जल स्त्रोत के पूरी तरह सूखने की आशंका है।

दुधवा की लाइफ लाइन सुहेली नदी भारी सिल्ट के कारण पहले ही उथली हो
चुकी है। 886 वर्ग किमी के विशाल क्षेत्र में फैले दुधवा टाइगर रिजर्व में
हाथी, भालू, बाघ, चीतल, पाढ़ा, काकड़, साभर, बारहसिंघा, गुलदार, लकड़बग्घा,
लोमड़ी, सियार, गैंडा और लंगूर पाए जाते हैं। इनमें से वन्य जीवों की कई
प्रजातिया विलुप्त प्राय जीवों की श्रेणी में शामिल हैं। पार्क एरिया में
वन्य जीवों की पानी की जरूरत पूरी करने के लिए सुहेली नदी के अलावा
बाकेताल, ककरहा ताल, पुरैना ताल, झादीताल और भादी ताल हैं। पारा बढ़ने के
कारण ग्रामीण क्षेत्रों के तालाबों के साथ दुधवा टाइगर रिजर्व के भी
प्राकृतिक जल स्त्रोत धीरे-धीरे सूख रहे हैं। विशालकाय बाकेताल लगभग सूख
चुका है जबकि अन्य नालों में भी काफी कम पानी बचा है।

अगर मार्च में ऐसी हालत है तो यह समझना मुश्किल नहीं होगा कि मई-जून
की भीषण गर्मी में क्या हाल होगा। दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक संजय
पाठक ने बताया कि बाकेताल सूख गया है लेकिन ककरहा और छेदिया ताल में अभी
पानी है। पाठक ने बताया कि पार्क प्रशासन मई-जून में प्राकृतिक जल स्त्रोत
सूखने की स्थिति में कृत्रिम साधनों से पानी भरकर पेयजल संकट दूर करने पर
विचार कर रहा है। वर्ष 2005 में दुधवा टाइगर रिजर्व की लाइफ लाइन कही जाने
वाली सुहेली नदी एकदम सूख गई थी। उसमें रेत उड़ने लगी थी। जंगल के अधिकांश
जल स्त्रोत सूख गए थे। उस समय दर्जनों पंप सेट लगाकर पानी की समस्या का हल
निकाला गया था। एक नवजात के साथ ही गैंडों की संख्या 30 हुई। दुधवा टाइगर
रिजर्व में चल रही गैंडा पुनर्वास योजना में गैंडा परिवार में एक सदस्य की
वृद्धि हुई है। मादा गैंडे ने एक शिशु को जन्म दिया है। इस नन्हें मेहमान
के साथ ही यहा गैंडों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है। ढाई दशक पहले असम से
पांच गैंडों को यहा लाकर सलूकापुर क्षेत्र में बसाया गया था। तभी से चल
रहे प्रोजेक्ट में गैंडा परिवार के सदस्यों की संख्या धीरे ही सही
बढ़ते-बढ़ते 30 हो गई है। इसमें तीन दिन का नवजात शिशु भी शामिल है।

गैंडे के बच्चे के जन्म की जानकारी मिलने के बाद पार्क प्रशासन ने
उसकी निगरानी बढ़ा दी है। जब तक बच्चा छोटा होता है तब तक उसे बाघ और अन्य
हिंसक जानवरों से खतरा बना रहता है। गैंडा परिवार में वृद्धि से पार्क
प्रशासन और वन्य जीव प्रेमियों में खुशी है।

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