कल तक खाने के थे लाले, आज बांट रहे रोटी

भागलपुर,
[रूप कुमार]। कहा जाता है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इसे
सार्थक कर दिखाया है गंगा पार के एक किसान पिता-पुत्र ने। पिता-पुत्र आज
अपनी एक बीघा जमीन पर नर्सरी के जरिए हर रोज हजार रुपये की कमाई कर रहे
हैं। कल तक इस किसान परिवार को रोटी के लाले थे, वहीं आज कई परिवार के बीच
रोटी बांट रहे हैं।

यशस्वी बने इस किसान का नाम है दीपनारायण मंडल व उनके पुत्र सदानंद
मंडल [भागलपुर जिले के नौगछिया अंतर्गत नया टोला]। ये किसान आम की कलम ये
स्वयं तैयार करते। चार साल पहले एक ही पेड़ में आठ किस्म के आम फलने वाला
पेड़ तैयार किया। चार साल पुराना पेड़ इस बार खूब फला है। डालियां टिकोले से
झुक गई हैं। इस पेड़ का नाम दिया गया है अष्टकिस्म आम। नर्सरी को संचालित
कर रहे किसान सदानंद मंडल ने बताया कि इस पेड़ में माल्दा, बंबई, जर्दालू,
गुलाबखास, कृष्णभोग, लावन भोग बीजू व आम की अन्य किस्म हैं। जो भी सुनता
वो आम के इस पेड़ को देखने सुलेखा नर्सरी में आता है। जो आम के एक ही पेड़
लगाना चाहते हैं, वैसे लोग इसकी खरीदारी भी कर रहे हैं।

ननमैट्रिक सदांनंद ने बताया कि उसने आम के पेड़ की ये कलम अपनी तकनीक
से तैयार की है। नर्सरी में फल, फूल, इमारती लकड़ी, जड़ी बूटी, व सब्जी की
सौ से अधिक वेराइटी का संगम। किसान ने नर्सरी के जरिए जीवन में नया रंग भर
दिया है। बारह वर्ष पहले इस नर्सरी को नया रूप दिया गया। नर्सरी की नींव
सदानंद मंडल मंडल के दादा वीरंची मंडल ने तीस साल पहले रखी थी। आज अस्सी
की उम्र में दीपनारायण मंडल अपने पुत्र सदानंद मंडल के संग मिलकर नर्सरी
के जरिए इलाके को फलदार बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं। बारह सदस्यीय
परिवार का पेट नर्सरी की कमाई से भरता है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर
रहन-सहन का स्तर सब कुछ बदल गया है।

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