कंधे पर रायफल और हाथों में हल

बक्सर
[दिलीप कुमार]। 70 के दशक के मध्य में देश में अनाज की कमी को पूरा करने
के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान
का नारा दिया था। इस नारे ने देश में ऐसा जोश भरा कि हर शख्स सीमा की
रक्षा और धरती मां की सेवा में अपना योगदान देने को आतुर हो उठा।

नई पीढ़ी भले ही इस नारे को भूल चुकी हो, लेकिन बक्सर के सोनपा गांव
के अधिकांश किसान आज भी पूर्व प्रधानमंत्री के नारे के साथ शिद्दत से जीते
हैं। यहां के लोग अपनी जवानी देश की रक्षा तथा बाद की जिंदगी धरती मां की
सेवा के नाम समर्पित करते है। तकरीबन छह हजार की आबादी वाले इस गांव के
लगभग चार सौ नौजवान फौज में योगदान दे रहे हैं। जबकि, सेना से रिटायर होकर
दो सौ फौजी गांव में खेती करते हैं।

इनमें से कई खेतों में जाते समय अपने कंधे पर रायफल और हल लिए रहते
है। यह इनकी दिनचर्या में शामिल हो चुका है। जिला मुख्यालय से लगभग 20
किलोमीटर दूर सोनपा गांव में खेती करने वाले ये लोग सेना के विभिन्न पदों
से रिटायर होकर पहुंचे हैं।

वर्ष 1996 में नायक पद से अवकाश प्राप्त कर आये शिवकुमार सिंह कुशवाहा
ने बताया कि देश सेवा से ओतप्रोत होकर गांव में भी सेवा का जज्बा बरकरार
है। जबकि, पूर्व फौजी रामनिवास सिंह जलीलपुर [सोनपा] के मुखिया चुने गये
हैं। इनका मानना है कि इस गांव में देश की रक्षा में अपना योगदान देना
सौभाग्य समझा जाता है। अब तो गांव के इतने लोग फौज में हो गये हैं कि
सोनपा फौजियों के गांव के नाम से भी जाना जाने लगा है। रिटायर्ड फौजी
सामाजिक कार्यो में भी खुलकर हिस्सा लेते हैं।

सेना से रिटायर्ड शिवकुमार सिंह कुशवाहा वर्ष 2004 में लोक सभा का
चुनाव लड़ चुके हैं। गांव में कैप्टन मुनेन्द्र सिंह, फ्लाइंग आफिसर विजय
कुमार सिंह कुशवाहा, सूबेदार मेजर, रामजतन सिंह कुशवाहा, लालजी सिंह
कुशवाहा, शिवमंगल सिंह यादव, रामधारी सिंह यादव, हीरालाल सिंह व भगवती राय
सहित अन्य लोग रिटायर होकर रह रहे हैं। जबकि, इनके बेटे व पोते अभी देश की
सीमाओं पर अपनी बहादुरी का परचम लहरा रहे हैं। पूर्व फौजी अपने खेतों में
विभिन्न फसलें उगा रहे हैं।

इनका कहना है कि धरती मां हम लोगों का लालन-पालन करती हैं। ऐसे में इसके नाम अपना जीवन करना सौभाग्य की बात है।

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