पटना लोगों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार नीति
बना रही है। 2012 तक सूबे के सभी लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की
तैयारी की गयी है। राज्य सरकार स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता नीति के स्वरूप
को अन्तिम रूप दे दी है। शीघ्र ही उस पर सरकार की मुहर लग जायेगी।
ये बातें सोमवार को विश्व जल दिवस के अवसर पर तारामंडल सभागार में
आयोजित सेमिनार में लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण मंत्री अश्रि्वनी कुमार
चौबे ने कहीं। सेमिनार का आयोजन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, केन्द्रीय
भूजल बोर्ड एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
मौके पर श्री चौबे ने कहा कि लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए
सरकार सूबे में दस योजनाएं चला रही है। भोजपुर, बक्सर, मनेर, वैशाली,
बेगूसराय, समस्तीपुर एवं भागलपुर के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के
लिए काफी तेजी से कार्य चल रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि विश्व जल दिवस
के अवसर पर लोग गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प लें। मौके पर विभाग
के प्रधान सचिव हेमचन्द्र सिरोही ने कहा कि राज्य के लोगों को स्वच्छ पेयजल
मुहैया कराने के लिए सरकार की ओर से 2600 करोड़ रुपये की योजना तैयार की
गयी है। इस योजना को धरातल पर उतरने के बाद राज्य के 80 प्रतिशत जनता को
स्वच्छ पेयजल मिलने लगेगा। सेमिनार में लघु सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव
सुधीर कुमार ने कहा कि भूजल को प्रदूषण से बचाना समय की मांग है। इसके लिए
सरकार की ओर से कई योजनाएं चलायी जा रही हैं। मौके पर आये लोगों का स्वागत
करते हुए केन्द्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक डा.पी.सी.चन्द्रा ने
कहा कि 1970 के बाद राजधानी के भूजल के स्तर में काफी तेजी से गिरावट हो
रहा है। 1970 के दशक में धरातल से मात्र छह मीटर पर पानी मिल जाता था लेकिन
वर्तमान में 13 से 14 मीटर अन्दर जल का स्तर मिल रहा है। यह
राजधानीवासियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। राज्य के पन्द्रह जिले
गंभीर रूप से आर्सेनिक से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि एक ही गांव के
विभिन्न मोहल्लों के पानी में अन्तर पाया जा रहा है। इस पर बोर्ड की ओर से
अनुसंधान जारी है। बोर्ड के वैज्ञानिक ए.के.अग्रवाल ने सेमिनार में आये
लोगों को धन्यवाद ज्ञापन किया।