बिहार में होगी दूसरी हरित और श्वेत क्रांति

पटना पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में कृषि उत्पादन चरम पर
पहुंचने के बाद अब नीचे खिसक रहा है। यहां अब कृषि विकास की ज्यादा
संभावनाएं नहीं हैं। ऐसे में बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वोत्तर
राज्य ही दूसरी हरित क्रांति के केंद्र बनेंगे। केंद्र को चाहिए कि वह इन
राज्यों को पर्याप्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये।

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को बिहार दिवस समारोह के
प्रथम आयोजन के अवसर पर बीआईटी सभागार में जैव प्रौद्योगिकी की उपयोगिता
एवं बिहार का विकास विषय पर आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के
उद्घाटन समारोह में ये बातें कहीं। आयोजन बिड़ला प्रौद्योगिकी संस्थान,
केंद्रीय विवि आफ बिहार तथा बिहार काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी के
संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में दूसरी हरित व श्वेत क्रांति की
संभावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार किसानों को 4 फीसदी की अल्प ब्याज दर
पर कृषि ऋण उपलब्ध करा रही है। दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तो है, पर अभी
हमें बहुत लंबा सफर तय करना है। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग
से कृषि, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, औषध निर्माण
विज्ञान एवं इनसे जुड़े अन्य उद्योगों का तीव्र विकास संभव है। 22 से 24
मार्च तक देश के जाने-माने वैज्ञानिकों एवं शिक्षकों के इस राष्ट्रीय
अधिवेशन से जो भी निष्कर्ष निकलेंगे उसके आधार पर राज्य की जैव
प्रौद्योगिकी नीति तैयार की जायेगी। कृषि एवं उसके अनुषंगी प्रक्षेत्रों के
विकास के लिए राज्य सरकार जैव प्रौद्योगिकी संस्थान भी खोलेगी।

श्री मोदी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में राज्य ने तेजी से कार्य करते
हुए बहुत से इंजीनियरिंग व अन्य व्यावसायिक संस्थान खोले हैं। आर्यभट्ट
विवि के कुलपति का भी चयन हो चुका है। इससे पढ़ाई के लिए बाहर जाने वाले
छात्रों की संख्या में बहुत कमी आयी है। आलम यह है कि दूसरे राज्यों के
बहुत से छात्र अब यहां पढ़ने आ रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा
विदेशी विवि की भारत में स्थापना संबंधी विधेयक की चर्चा करते हुए कहा कि
उनमें एससी/एसटी/ओबीसी वर्गो के आरक्षण का उपबंध नहीं है। जब तक सरकार इस
विधेयक में आरक्षण के प्रावधान नहीं करती हमें यह बिल मंजूर नहीं होगा।

इस अवसर पर बीआईटी पटना के कुलपति डा. एचसी पांडेय, सेंट्रल यूनीवर्सिटी
आफ बिहार के कुलपति जनक पांडेय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव
रविकांत, डा. पी ध्यानी, बीएचयू के प्रो. एससी लखोटिया, अमिताभ घोष, जीपी
लाल, डा. एएस विद्यार्थी, भगवान सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

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