पटना पीएमसीएच में मरीजों को बेहतर जांच सुविधा के लिए
पब्लिक-प्राइवेट पाटर्नरशिप के तहत एम्स की दर पर जिस ‘डोयन’ को जांच का
काम सौंपा गया था, उसकी रणनीति ने नि:शुल्क सरकारी पैथालाजी लैब को ठप सा
कर दिया है। आलम यह है कि कुछ माह पूर्व तक सांस तक न ले पाने वाले
पीएमसीएच के माइक्रोबायोलाजी विभाग की लैब के चिकित्सक व स्टाफ अब आराम से
बैठे रहते हैं।
अस्पताल सूत्रों की माने तो कुछ माह पहले जब तक पीएमसीएच में पीपीपी के
तहत जांच कार्य का जिम्मा डोयन (एक प्राइवेट संस्था जो पीएमसीएच के मरीजों
को एम्स की दर पर पैथालाजी सुविधा दे रही है) को नहीं सौंपा गया था,
माइक्रोबायोलाजी विभाग की लैब में मरीजों की भीड़ लगी रहती थी। आलम यह था कि
एक दिन में जांच के लिए आने वाले सभी मरीजों को यह सेवा उपलब्ध नहीं हो पा
रही थी। ऐसी शिकायतों के चलते मरीजों को सुविधा देने के उद्देश्य से राज्य
सरकार ने पीपीपी माडल के तहत यह सुविधा शुरू कराई। शुरुआती दिनों में तो
डोयन ने हर वार्ड के बाहर नमूने एकत्र करने के लिए अपने कर्मचारी तैनात
किए, जो एक्सरे जांच के बगल स्थित डोयन लैब में नमूने पहुंचाते थे। इससे
बाहर से आने वाले ज्यादातर लोग जो पीएमसीएच लैब के बारे में नहीं जानते
हैं, डोयन को ही संस्था की एकमात्र पैथालाजी सुविधा उपलब्ध कराने वाली
एजेंसी समझ उन्हीं से जांच कराने लगे। बाहर के मरीजों पर एकछत्र शासन
स्थापित करने के बाद डोयन ने शहरी व जानकार मरीजों को वार्ड में उनके
बिस्तर से नमूना ग्रहण करने की सुविधा देकर अपनी गिरफ्त में लिया है। इससे
पीएमसीएच की माइक्रोबायोलाजी लैब में जहां 400 रुपये तक की जांच नि:शुल्क
होती है में मरीजों का टोटा पड़ गया है। लैब से जुड़े कई चिकित्सक व कर्मचारी
से आहत हैं। उनका कहना है खाली बैठे रहना कष्टदायक है। सभी का एक सुर में
कहना है कि प्रचार-प्रसार न होने से मरीज अनजाने में डोयन को ही सरकारी
सुविधा मान कर उससे जांच करवा रहे हैं।
पीएमसीएच के उपाधीक्षक डा. आरके सिंह ने बताया कि पहले पीएमसीएच की लैब
सभी मरीजों को जांच सुविधा नहीं उपलब्ध करवा पा रही थी। इसके चलते सरकारी
निर्देशों पर पीपीपी के तहत पैथालाजी सुविधा एम्स दर पर उपलब्ध कराने का
जिम्मा सौंपा गया है। यहां की नि:शुल्क लैब कार्य कर रही है जिन्हें वहां
जांच करानी है वो वहां जा सकते है।