तिल-तिल मार रहा क्रोमियम

कानपुर [जासं]। शहर में बड़ी आबादी प्रदूषित पानी पी रही है। जूही व
नौरेया खेड़ा के भूगर्भ जल में घुला क्रोमियम पनकी तक पहुंच गया है। प्रदूषण
नियंत्रण बोर्ड की जाच में पनकी में डंकन इंडस्ट्रीज के बाहर हैंडपंप में
एक लीटर पानी में क्त्रोमियम की मात्रा 0.061 मिली। यह नया इलाका है, जहा
पानी में क्रोमियम चिह्नित किया गया है।

कई लोग पहुंचे अस्पताल

क्रोमियमयुक्त पानी पीने और नहाने-धोने में इस्तेमाल करने से
नौरैयाखेड़ा निवासी किशन सिंह के हाथों की अंगुलिया गल गयीं। समर सिंह को
पीलिया हो गया। इलाज एम्स दिल्ली में कराना पड़ा। सरमन सिंह शरीर में चकत्ते
पड़ने से बर्रा के एक नर्सिग होम में भर्ती हैं। 12 साल की पूजा के सिर के
बाल सफेद हो गये हैं। जूही राखीमंडी में दीपक कनौजिया के हाथों में सफेद
दाग पड़ गये हैं।

रूमा में क्त्रोमियम 500 गुना ज्यादा

टेनरियों से निकले स्लज रूपी जहर के कारण रूमा की धरती विष उगल रही है।
हैंडपंपों के पीले पानी में क्रोमियम मानक से पाच सौ गुना ज्यादा है। इसके
चलते कृषि पैदावार चौथाई रह गयी है। आदमी और जानवर सभी बीमार हैं। दर्जन
भर से ज्यादा गावों में लोग हाथ-पैर गलने के साथ पेट की जटिल बीमारियों का
दंश झेल रहे हैं।

टेनरियों में चमड़ा सफाई में इस्तेमाल होने वाले क्रोम का कचरे
निस्तारिक करने के लिए गंगा कार्य योजना के द्वितीय चरण में नगर निगम ने
रूमा में 21.69 हेक्टेयर क्षेत्र में व्यवस्था की थी। लेकिन यहा निस्तारण
के नाम पर स्लज यूं ही डालने से बारिश के पानी के साथ क्रोमियम भी धरती में
समा गया और भूगर्भ जल विषैला हो गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पानी के
नमूनों की जाच की क्रोमियम 25 मिलीग्राम प्रतिलीटर निकला जबकि मानक महज
0.05 मिलीग्राम प्रतिलीटर है। हैंडपंपों के पानी पर रोक लगा दी गयी। डंपिंग
स्थल के सामने तालाब में नहाने वाले जानवर भी बीमार हो रहे हैं। इस पानी
को सिंचाई के काम में लिए जाने से फसलें प्रभावित हो रही हैं। रमाकात ने
बताया कृषि उपज एक चौथाई रह गयी है। मोतीपुर की रामकली [65] की खेत में काम
करने से हाथ की अंगुलिया पूरी तरह गल चुकी हैं तो शेखपुर के गंगा प्रसाद
14 वर्षो से दानों और खुजली का इलाज कराकर इतना हार चुके हैं कि कहते हैं
बीमारी अब मौत के साथ ही जायेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *