नई
दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में अब ‘बलात्कार’ नहीं होगा। आपका चौंकना
लाजमी है। लिहाजा, यह बता दें कि भारत सरकार ने 150 साल पुरानी भारतीय दंड
संहिता [आईपीसी] में संशोधन का फैसला किया। इसके मुताबिक आईपीसी से
‘बलात्कार’ शब्द को हटा दिया जाएगा। इसकी जगह ‘यौन उत्पीड़न’ शब्द का
इस्तेमाल होगा ताकि यौन अपराधों से पीड़ित महिलाओं और पुरुषों को समान रूप
से कानून का लाभ मिल सके। उधर, सोमवार को लोक सभा में अपराध प्रक्रिया
संहिता [सीआरपीसी] में संशोधन विधेयक पेश किया गया जिसके मुताबिक गंभीर
मामलों में पुलिस को इस बात का भी ब्यौरा देना होगा कि उसने आरोपी की
गिरफ्तारी क्यों नहीं की।
गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के बताया कि आईपीसी में संशोधन के लिए
विधेयक एक पखवाड़े में तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद इसका मसौदा मंत्रालय
की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा। आईपीसी की धारा 375 मेंइस प्रस्तावित
बदलाव के बाद महिलाओं, पुरुषों औच् बच्चों के साथ होने वाले सभी तरह के
यौन
अपराधों को समान श्रेणी का माना जाएगा। साथ ही अपराधी और पीड़ित के साथ किसी तरह लिंग भेद नहीं होगा।
उधर, लोकसभा में सीआरपीसी संशोधन विधेयक पेश किया गया।
इसके मुताबिक सीआरपीसी की धारा पांच की उपधारा एक के आधार पर पुलिस को
अब लिखित में यह जानकारी देनी होगी कि उसने किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं
किया तो क्यों? और किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया तो किस आधार पर? गृह
मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक इस संशोधन का फायदा गरीब और अमीर आरोपियों
के बीच होने वाले भेद-भाव को दूर करने में मिल सकेगा। अब तक ज्यादातर
मामलों में आरोपी के गरीब होने पर पुलिस उसे तुरंत गिरफ्तार कर लेती है।
जबकि अमीर आरोपी के मामले में ऐसा कदम उठाने से बचती है।