लड़ाई लड़ेंगे नई राजधानी के किसान

रायपुर. नई
राजधानी प्रभावित किसान जमीन की कीमत बढ़ाने की मांग पर अड़ गए हैं। किसान
जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए अड़े हुए हैं। उन्हें जमीन के बदले जमीन
चाहिए। पिछले नौ सालों से प्रतिबंध झेल रहे किसानों को जमीन की कीमत मात्र
छह लाख 58 हजार (असिंचित) और सात लाख आठ हजार रुपए (सिंचित)एकड़ की दर से
भुगतान किया जा रहा है।

सरकार ने मांग नहीं मानी तो किसान बड़ी लड़ाई के लिए तैयार हैं।
किसानों ने ऐलान कर दिया है कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो नई राजधानी
परियोजना को पूरा नहीं होने देंगे। किसान सरकार से टकराव के लिए पूरी तरह
तैयार हैं। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है।

किसान पिछले 9 मार्च से क्रमिक भूखहड़ताल पर बैठ रहे हैं। अब तक छतौना,
कोटराभाठा, नवागांव झांझ, बरौदा और उपरवारा के किसान भूख हड़ताल पर बैठ
चुके हैं। किसानों ने 27 मार्च को बड़ी रैली निकालने का ऐलान कर दिया है।

नई राजधानी क्षेत्र में किसानों को जमीन का भुगतान पुरानी दर पर ही
किया जा रहा है। दूसरी ओर नई राजधानी क्षेत्र के चारों तरफ जमीन की कीमत
25 से 30 लाख रुपए एकड़ हो गई है। सरकार नई राजधानी क्षेत्र में 75 से 80
प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण कर चुकी है। उसे करीब डेढ़ हजार हेक्टेयर जमीन
की आवश्यकता और है।

किसानों की जमीन नई राजधानी की विभिन्न परियोजनाओं के दायरे में आ रही
हैं। इनमें गोल्फ कोर्स से लेकर सड़क और अन्य योजनाआंे को अमलीजामा पहनाना
है। किसान अरसे से अपनी जमीन की कीमत बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

नई राजधानी प्रभावित किसान संघर्ष समिति के साजन मल्होत्रा ने कहा कि
सरकार किसानों के बारे में जरा भी गंभीर नहीं है। किसानों की जमीन पर
प्रतिबंध तो लगा दिया गया, लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा
है। किसानों को उनकी जमीन के बदले उचित कीमत देनी चाहिए।

अगर किसानों को उनकी जमीन की कीमत देने में सरकार को किसी तरह की
परेशानी है तो जमीन के बदले जमीन देने की व्यवस्था करनी चाहिए। वैसे इस
मामले में कई किसानों ने हाईकोर्ट की भी शरण ली है।

इधर मंत्रालय भवन और विभागों के कार्यालय का भवन निर्माण का कार्य चल
रहा है। नई राजधानी को पुराने रायपुर शहर से जोड़ने के लिए सड़क भी बनाई
जा रही है। इस सड़क के दायरे में आ रही जमीन को लेने के लिए भी नया रायपुर
विकास प्राधिकरण को किसानों का विरोध झेलना पड़ रहा है।

किसान चाहते हैं कि उनकी जितनी जमीन सड़क के दायरे में आ रही है, उतनी
जमीन किसी दूसरे क्षेत्र में दी जाए। जमीन खरीदना उनके बस में नहीं है।
आसपास के क्षेत्र में जमीन भी नहीं बची है। इसलिए उनको सरकारी जमीन दी
जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग होगी

किसानों की आवास एवं पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत के साथ एक दौर की/> चर्चा हो चुकी है। प्राधिकरण के सीईओ एसएस बजाज ने बताया कि आवश्यकतानुसार
कीमत बढ़ाई जा चुकी है। अन्य मांगों के संबंध में किसानों की मुख्यमंत्री
डॉ. रमन सिंह के साथ मीटिंग होने वाली है। उसमें चर्चा के अनुसार आगे की
कार्रवाई की जाएगी। जमीन के बदले जमीन देने का प्रस्ताव प्राधिकरण के पास
लंबित है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *