पेनकिलर..आर दे किलिंग यू?

दर्द
जब हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो डाक्टर भी पेनकिलर के सेवन का सुझाव देते
हैं। लेकिन जब उसी पेनकिलर का जरूरत से ज्यादा उपयोग होने लगे तो वो
साइलेंट किलर का भी काम कर सकता है।

पेनकिलर्स बनाने में नान-स्टेराइडल ऐंटी इनफ्लेमेट्री ड्रग्स जैसे
मार्फिन और नान-नारकोटिक्स जैसे एसेटैमिनोफेन का प्रयोग होता है। जिसका
अधिक मात्रा में सेवन न सिर्फ शारीरिक बिमारियों का कारण बनता है बल्कि
इससे एडिक्शन भी हो सकता है। आजकल जहां लोगों के पास वक्त की कमी है और
काम का अत्यधिक दबाव है ऐसे में हल्का सा दर्द होने पर भी वे पेनकिलर लेने
से नहीं चूकते। जो आगे चल कर परेशानी का सबब बन सकता है। वे इनका सेवन
इसलिए करते है क्योंकि वे नहीं चाहते की उनके परफेक्शन में कोई भी रुकावट
बने।

क्या हैं ये पेनकिलर्स?

पेनकिलर्स जिन्हें एनाल्जेसिक भी कहा जाता है, इनका प्रयोग दर्द से
राहत पहुंचाने में किया जाता है। डा. पूनम दीक्षित बताती है कि ‘पेनकिलर
तीन तरह के होते है। एक वो जो ब्रेन पर सेंट्रली एक्ट करते है। दूसरे वो
पेनकिलर होते है जो दर्द पर लोकल एक्शन करते है और तीसरे वो होते जो सूजन
को कम करने के बाद उनका दर्द कम करते है जैसे जोड़ो के दर्द की दवाएं।

पेनकिलर्स आर गुड

डा. का कहना है कि ‘अगर सीमित मात्रा में लिया जाए तो पेनकिलर अच्छे
होते है। क्योंकि ये दर्द से निजात देते है। दर्द किसी को भी हैंडिकैप
जैसा बना देता है। वह सोचने-समझने की क्षमता को कम कर देता है। ऐसे में
पेनकिलर रिलीफ देता है और उस दर्द से उबरने में मदद करता है।

क्यों होता है इनसे एडिक्शन

डा.नीलम कहती है कि ‘सिर्फ वो पेनकिलर जो सीधा दिमाग पर असर करते है
या जिनमें एल्कोहाल या आपियम के डेरेवेटिव्स होते है उनका ही एडिक्शन होता
है। ये बिना प्रीस्क्रिप्शन के नहीं मिलते है। बाकी के सेवन से दर्द कम
होता है तो लोग उसे खाने लगते है और उसे एडिक्शन समझते है। लेकिन ऐसा कुछ
नहीं है। इनसे एडिक्शन नहीं होता है लेकिन शरीर पर इनका नकारात्मक प्रभाव
पड़ता है। जिन केसेज में एडिक्शन होता है उनके हालात काफी बुरे हो जाते है।
ऐडिक्शन से बचने का एक ही उपाय है, दवा की अति से बचें।

इनसे है नुकसान भी

‘अति किसी भी चीज की हो वह हमेशा ही बुरी होती है। दर्द होने पर दवा
खाना गलत नहीं है लेकिन ये किसी भी समस्या का हल नहीं है कुछ पल के लिए
दर्द से राहत तो ठीक है लेकिन समस्या को दबाएं नहीं उसका इलाज करें’ यह
कहना है डा. नीलम का।

इनके साइड इफेक्ट्स

मिचली आना, उल्टी होना, नींद आना, मुंह का सूखना, आंखों की पुतली का
सिकुड़ जाना, रक्तचाप का अचानक कम हो जाना, कांसटिपेशन होना दर्दनिवारक
दवाइयों के सेवन से होने वाले कुछ आम साइड इफेक्ट्स है। इसके अलावा हार्ट
रेट का बढ़ याघट जाना, खुजली होना, हाइपोथर्मिया, मांसपेशियों में तनाव
आदि जैसे साइड एफेक्ट्स भी पेनकिलर के सेवन से होते है। इनसे लिवर डेमेज
का खतरा होता है और अगर किसी को लिवर की परेशानी हो तो उसके बढ़ जाने के
चांसेज होते है। वहीं खाली पेट इन्हें खाने से अल्सर हो सकता है।

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