इंफाल।
मणिपुर में सशस्त्र बल [विशेषाधिकार]अधिनियम 1958 [एएफएसपीए] को वापस लेने
की मांग को लेकर पिछले 10 साल से आमरण अनशन कर रहीं कार्यकर्ता इरोम
शर्मिला जेल से छूटने के बावजूद अपनी भूख हड़ताल जारी रखे हुए है।
एक अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा कि 14 मार्च को 38 साल की होने जा
रहीं शर्मिला को सोमवार को स्थानीय अदालत ने एक साल की सजा पूरी करने के
बाद रिहा कर दिया था। हालांकि उनकी हालत नाजुक बनी हुई है और पुलिस उन पर
नजर बनाए हुए है।
लेखिका से मानवाधिकार कार्यकर्ता बनीं शर्मिला की देखरेख करने वाले
डॉक्टरों का कहना है कि भूख हड़ताल से उनके आंतरिक अंग खराब हो रहे है। सजा
के दौरान उन्हे इम्फाल के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में रखा गया था। शर्मिला
ने पत्रकारों से कहा कि एएफएसपीए वापस लेने तक भूख हड़ताल तोड़ने का कोई
सवाल ही नहीं पैदा होता क्योंकि इस कठोर कानून के दुरुपयोग से कई लोग मारे
गए है। इससे पहले वह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य राष्ट्रीय नेताओं
की भूख हड़ताल खत्म करने की अपील खारिज कर चुकी है।
आतंकवादियों ने दो नवंबर 2000 को हवाई अड्डे के निकट उस समय बम
विस्फोट किया था जब असम रायफल्स के कुछ वाहन वहां से गुजर रहे थे, हालांकि
इस विस्फोट में कोई हताहत नहीं हुआ था।
असम रायफल्स के जवानों ने बाद में उसी इलाके में 10 लोगों को गोली मार दी थी। इसी के विरोध में शर्मिला ने आमरण अनशन शुरू किया था।