नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। मंत्रिमंडल ने
दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी में 33 प्रतिशत वृद्धि की मंजूरी दे दी है। नई
मजदूरी दर एक फरवरी 2010 से लागू मानी जाएगी। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने
राजधानी के प्रत्येक जिले में जिला विधिक सेवाएं अधिकरण स्थापित करने के
लिए नौ अधिकरणों के गठन की मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की
अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिए गए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मंत्रिमंडल ने न्यूनतम मजदूरी में 33 प्रतिशत
बढ़ोतरी के बाद दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी देश में सबसे अधिक होगी। अकुशल
मजदूर की दैनिक न्यूनतम मजदूरी 163 रुपये से बढ़ाकर 203 रुपये कर दी गई
है। अर्ध-कुशल मजदूर की न्यूनतम मजदूरी 225 रुपये और कुशल मजदूर की दैनिक
मजदूरी 248 रुपये होगी। अकुशल मजदूर को बढ़ी हुई मजदूरी के अनुसार
प्रतिमाह 5272 रुपये मिलेंगे, जबकि अर्ध कुशल को प्रतिमाह 5850 रुपये और
कुशल मजदूर को प्रतिमाह 6448 रुपये मिलेंगे। लिपिक और गैर तकनीकी निरीक्षक
कर्मचारियों की दैनिक न्यूनतम मजदूरी में भी वृद्धि की गई है। गैर मैट्रिक
को प्रतिदिन 225 रुपये और मासिक 5850 रुपये, मैट्रिक कर्मचारी को प्रतिदिन
248 रुपये और मासिक 6448 रुपये और स्नातक तथा इससे अधिक शिक्षा प्राप्त
कर्मचारी को प्रतिदिन 270 रुपये और मासिक 7020 रुपये मिलेंगे। उन्होंने
कहा कि यह फैसला मजदूरों के लिए संतोषजनक मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए
किया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राजधानी के प्रत्येक जिले में
एक-एक विधिक सेवाएं अधिकरण स्थापित करने के लिए नौ अधिकरणों के गठन का
फैसला किया है। अभी दिल्ली में मात्र एक विधिक सेवाएं अधिकरण है, जो
रोहिणी जिला परिसर में कार्य कर रहा है। गरीबों, निरक्षरों और कानूनी रूप
से कम समझदार लोगों को कानूनी सहायता और सलाह देने के लिए यह निर्णय लिया
गया। प्रत्येक जिला अधिकरण में एक जिला न्यायधीश अध्यक्ष होंगे और अन्य
सदस्यों को अनुभव और योग्यता के आधार पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
के परामर्श पर नामांकित किया जाएगा। मंत्रिमंडल ने इससे पहले इन अधिकरणों
के लिए नौ पूर्णकालिक सचिवों और सहायक कर्मचारियों के पदों की मंजूरी दी
थी।