पटना। गुजरात के बाद देश में विकास की दौड़
में दूसरे नंबर पर रहने वाले बिहार की अर्थव्यवस्था में उछाल का मुख्य
कारण निर्माण, संचार और व्यापार के क्षेत्र में दर्ज हुई तेज वृद्धि है।
विधानमंडल में राज्य सरकार द्वारा गुरुवार को पेश वर्ष 2009-2010 के
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ने इस संबंध में लगाए जा रहे अनुमानों पर मुहर
लगा दी है। प्रदेश में चार सालों में प्रति व्यक्ति आय 7,443 रुपये से
बढ़कर 10,415 रुपये हो गयी है। सड़कों पर इस अवधि में दस गुना अधिक राशि
खर्च हुई है जबकि कृषि ऋण प्रवाह में 265 फीसदी की बढ़ोतरी रिकार्ड की गयी
है।
विधानसभा में सरकारी की ओर से स्वास्थ्य मंत्री नंदकिशोर यादव ने
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया। 392 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में यह भी
दर्शाया गया है कि प्रदेश में मूल्य वृद्धि राष्ट्रीय औसत की अपेक्षा कम
रही है। 2007-2008 से नवंबर 2009-10 के बीच उपभोक्ता मूल्य सूचकांक सूबे
में 90 अंक बढ़ा जबकि संपूर्ण भारत के सूचकांक में 115 अंकों की वृद्धि
हुई है।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुख्य बिन्दुओं के संबंध में वित्त आयुक्त भानु
प्रताप सिंह ने पत्रकारों को बताया कि 2004-2005 से 2008-2009 के बीच
प्रदेश की अर्थव्यवस्था 11.35 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ी जबकि
1990-2000 से पहले पांच वर्षो के दौरान यह प्रतिशत 3.50 रहा। इस उछाल का
कारण उच्च वृद्धि दर दर्ज करने वाले तीन प्रक्षेत्र हैं। निर्माण
प्रक्षेत्र में 35.80 प्रतिशत एवं संचार प्रक्षेत्र में 17.68 फीसदी का
इजाफा हुआ है। साथ ही व्यापार, होटल एवं रेस्टोरेंट प्रक्षेत्र में 17.71
प्रतिशत की तेजी रिकार्ड की गयी है। निर्माण प्रक्षेत्र पर नजर डाली जाये
तो सड़कों पर 2005-2006 में खर्च हुए 263.23 करोड़ की तुलना में 2008-2009
में दस गुना अधिक 2,489.15 करोड़ की राशि खर्च हुई। इस अवधि में 415
किलोमीटर की तुलना में राज्य सरकार ने 2,417 किलोमीटर सड़कों का निर्माण
किया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 323 किमी तथा मुख्यमंत्री ग्राम
सड़क योजना के तहत 1,913 किमी सड़क बनी। 712.33 करोड़ की लागत से 520 पुलों
का निर्माण होना है जिसमें से 375 पुल बनाए जा चुके हैं। इनके अलावा
मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना के तहत 492.26 करोड़ के व्यय से 1,104 छोटे
पुल भी बनाए गए हैं। 2005-06 में जहां 80.4 हजार वाहनों का पंजीकरण हुआ
था, वहीं 50.8 वृद्धि दर के साथ 2008-2009 में इनकी संख्या 2.20 लाख हो
गयी। दूरसंचार प्रक्षेत्र का असाधारण विकास हो रहा है। मार्च 2006 से
अक्टूबर 2009 के बीच टेलीफोन कनेक्शन की संख्या में 42.23 लाख छह गुना
बढ़कर 2.65 करोड़ हो गयी है।
कृषि में एक साल में फसल सघनता 1.33 से बढ़कर 1.36 हो गयी है।
2006-2007 में कृषिगत क्षेत्रफल में 322 हजार हेक्टेयर भूमि अतिरिक्त जुड़ी
थी। वर्ष 2003-04 से 2008-09 तक कृषि ऋण प्रवाह में 265 फीसदी की वृद्धि
हुई है। रिपोर्ट में इस बात की भी चर्चा है कि सभी श्रेणियों के उद्योगों
की संख्या में 51 फीसदी की वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-05 से कारीगरी आधारित
इकाइयों में 57.8 फीसदी, अति लघु या सूक्ष्मइकाइयों में 47.4 प्रतिशत और
लघु उद्योग इकाइयों में में 21.3 प्रतिशत वृद्धि हुई है। विदेशी पर्यटकों
की संख्या 2003 के 61 हजार के मुकाबले 2008 में 3.46 लाख हो गयी है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काफी प्रगति रिकार्ड की गयी है।
प्राथमिक स्तर पर समग्र नामाकन में 58.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। उच्च
प्राथमिक स्तर पर यह वृद्धि 159.4 प्रतिशत है। उच्च प्राथमिक स्तर पर
अनुसूचित जातियों का नामांकन 187.4 प्रतिशत बढ़ा है और अनुसूचित जनजातियों
का नामांकन 424.2 प्रतिशत। प्राथमिक शिक्षा में छीजन दर में 15.5 फीसदी की
कमी आयी है। स्वास्थ्य अधिसंरचना में 2001 से 2006 के बीच आई चिरकालिक
गिरावट 2007 से पलट गयी है। शिशु मृत्यु दर 2005 में 61 थी जो घटकर 2009
में 56 हो गयी है। राजस्व अधिशेष 2004-05 के 1,076 करोड़ चार गुना बढ़कर
2008-09 में 4,469 करोड़ हो गयी है। पूंजीगत परिव्यय तीन गुना बढ़कर
2005-06 के 2,084 के मुकाबले 2008-09 में 6,436 करोड़ हो गया है। 2004-05
से 2009-10 के बीच कुल व्यय में विकास का हिस्सा 40 प्रतिशत से बढ़कर 67
प्रतिशत हो गया है। आर्थिक सर्वेक्षण आद्री स्थित सेंटर आफ इकोनामिक
पालिसीज एंड पब्लिक फिनांस के सहयोग से कराया गया है। पत्रकारों से बातचीत
के मौके पर वित्त आयुक्त के साथ आद्री के शैबाल गुप्ता और पीपी घोष के
अलावा राज्य के बजट अधिकारी तिलक राज गौरी भी मौजूद थे। विधान परिषद में
आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पथ निर्माण मंत्री प्रेम कुमार ने पेश की।