महंगाई के जले पर नमक; अब नमक भी होगा महंगा

दाल,
चीनी, तेल,
सब्जियों के
बाद अब नमक भी
महंगा होने
वाला है।
गुजरात में
नमक के
मैदानों के
लीज का किराया
100 फीसदी तक
बढ़ने की वजह
से इसकी
कीमतों का
बढ़ना तय है।
हालांकि,
कंपनियां
इसका बोझ
ग्राहकों पर
डालेंगी या
नहीं, इसका
फैसला शनिवार
को अहमदाबाद
में होने वाली
नमक
मैन्युफैक्चरिंग
कंपनियों की
बैठक में
होगा।

इंडियन
सॉल्ट
मैन्युफैक्चररर्स
एसोसिएशन
(आईएसएमए) के
अधिकारियों
का कहना है कि
गुजरात सरकार
ने नमक
उत्पादकों को
किराए पर
मिलने वाले
सॉल्ट पैन
(समुद्र के
किनारे नमक
वाले मैदान) पर
लगने वाले
लेवी को
दोगुना कर
दिया है और इसी
वजह से यह
स्थिति पैदा
हुई है। लीज
किराए में
बढ़ोतरी से
राज्य के छोटे
एवं मध्यम नमक
उत्पादकों पर
भारी मार पड़ी
है।

साल 1989
में गुजरात
सरकार प्रति
हेक्टेयर
सॉल्ट पैन का
किराया 12
रुपये लेती थी,
जिसे 1996 में
बढ़ाकर तीन
गुना और साल 2001
में बढ़ाकर 150
रुपये कर दिया
गया। इसके बाद
नमक
उत्पादकों के
संगठन की मांग
के बाद राज्य
सरकार इसमें
कोई बढ़ोतरी न
करने पर सहमत
हुई थी। लेकिन
पिछले हफ्ते
राज्य सरकार
ने लेवी को 150
रुपये से
बढ़ाकर 300
रुपये तक करने
का फैसला लिया
है। आईएसएमए
के मानद सचिव
भारत रावल ने
बताया कि
सॉल्ट पैन के
लीज का किराया
देने के अलावा
नमक
उत्पादकों को
जरूरत की अन्य
भूमि का
किराया, जिला
पंचायत कर,
एजूकेशन सेस,
पंचायत उपकर,
रॉयल्टी, सेस
और घाट शुल्क
भी देना पड़ता
है। नमक
उत्पादकों के
लिए बिजली की
लागत भी बढ़ गई
है।

साल 2000
में बिजली की
एक यूनिट के
लिए 3.75 रुपये
देने पड़ते
थे। इस साल
टैरिफ बढ़ने
से उत्पादकों
को 6.75 से 7.50 रुपये
प्रति यूनिट
खर्च करने पड़
रहे हैं। इसके
अलावा मजदूरी
पर भी खर्च
बढ़ा है। हाल
के समय में
मजदूरी 76
रुपये प्रति
व्यक्ति से
बढ़कर 155 रुपये
तक पहुंच गई
है। यदि इनमें
अन्य स्थायी
लाभ जैसे
प्रॉविडेंट
फंड,
ग्रेच्युटी,
बोनस और राज्य
कर्मचारी
बीमा की राशि
को भी जोड़
लिया जाए तो
प्रति मजदूर
करीब 200 रुपये
प्रति दिन की
लागत आती है।
यही नहीं,
राज्य सरकार
ने कहा है कि
हर साल अब
सॉल्ट पैन के
किराए में 10
फीसदी की बढ़त
जरूर की
जाएगी। इस तरह
से तो राज्य के
नमक
उत्पादकों की
कमर ही टूट
जाएगी। नमक
उत्पादन की
लागत बढ़ती जा
रही है, लेकिन
इसकी बिक्री
कीमत में कोई
बदलाव नहीं आ
रहा है। साल 2000
से ही नमक की
कीमत 250 रुपये
प्रति टन बनी
हुई है। इसलिए
अब नमक
उत्पादक
कीमतें
बढ़ाने के
बारे में
गंभीरता से
सोच रहे हैं।
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