शिमला. नरेगा के तहत अब स्कूलों में खेल
मैदानों का निर्माण भी किया जाएगा। इसके लिए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय से
ऐसे सभी प्राइमरी और एलीमेंटरी स्कूलों की जानकारी मांगी गई है, जिनमें
खेल के मैदान की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
प्रदेश के प्राइमरी और एलीमेंटरी स्कूलों में अभी भी खेल के मैदानों का
अभाव है। शिक्षा विभाग के अनुसार लगभग पांच हजार से अधिक प्राइमरी और
एलीमेंटरी स्कूल ऐसे हैं, जहां मैदान नहीं हैं। ऐसे अधिकतर स्कूल प्रदेश
के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चल रहे हैं। जटिल भागौलिक परिस्थितियों
के चलते इन स्कूलों में खेल के मैदानों का निर्माण करना संभव नहीं हो पाया
है। प्रदेश में लगभग 10500 प्राइमरी स्कूल और लगभग 4400 मिडिल स्कूल हैं।
नरेगा स्कीम को सफल रूप से कार्यान्वित करने में जहां हिमाचल प्रदेश देश
में अव्वल रहा है तो वहीं इस स्कीम के तहत अब दूसरे विकास कार्यो को भी
शामिल किया गया है। नरेगा के तहत अगर स्कूलों में खेल के मैदानों का
निर्माण किया जाता है तो इससे छात्रों को तो सुविधा मिलेगी ही, साथ ही
लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
खेलों के मैदानों के अभाव में अभी तक इन स्कूलों के छात्रों को खेलकूद
गतिविधियों में भाग लेने का पर्याप्त मौका नहीं मिल पा रहा था। नरेगा के
तहत स्कूलों में बनने वाले खेलों के मैदानों का निर्माण करने में पंचायतों
की भी अहम रहेगी। इस योजना को सफल बनाने के लिए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय
सारी महत्वपूर्ण जानकारी को पंचायतीराज विभाग को शीघ्र भेज रहा है।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक राजीव शर्मा का मानना है कि सभी ऐलीमेंटरी व
प्राइमरी स्कूलों में खेल के मैदान उपलब्ध कराने की योजना है। खेल के
मैदानों के निर्माण के लिए नरेगा के तहत सहायता ली जा रही है। इसके लिए हर
जिले से शिक्षा उपनिदेशकों के माध्यम से ऐसे स्कूलों की जानकारी मंगवाई गई
है।