ग्रेटर नोएडा, संवाददाता : किसी भी वीआईपी
व्यक्ति के जिले में प्रवेश करने से पहले जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी
जाती है। इसके बाद उसे विशेष दर्जा प्रदान किया जाता है, लेकिन एक साधारण
सा ठेकेदार रातों-रात राज्यमंत्री का दर्जा हासिल कर लेता है। कई जिलों की
पुलिस और प्रशासन की आंखों में धूल झोंक वह लखनऊ से गौतमबुद्ध नगर जिले तक
पुलिस एस्कोर्ट की सुविधा हासिल करता है, लेकिन हर जिले की पुलिस आंख मूंद
उसे वीआईपी का दर्जा देती है। किसी ने इसकी जांच कराने की जरूरत तक नहीं
समझी। आखिरकार वह यहां आकर पकड़ा गया। इस पूरे खेल में कहीं न कहीं सरकारी
अमले के शामिल होने की बू आ रही है।
लाल बत्ताी लगाकर खुद को राज्यमंत्री बता पूरे जिले में घूम रहे
राजवीर सिंह भाटी का दो दिन पहले तक सत्तारूढ़ पार्टी से कोई नाता नहीं
था। अचानक वह लखनऊ पहुंचता है और वहां से गाड़ी में लाल बत्ताी लगाकर पुलिस
एस्कोर्ट के साथ जिले तक पहुंच जाता है। जगह-जगह उसका भव्य स्वागत किया
जाता है। आम जनता के साथ ही साथ बसपा नेता भी राजवीर के अचानक मंत्री बनने
पर भौचक्के रह जाते हैं, लेकिन उसके गिरफ्तार होते ही एक ऐसी सच्चाई सामने
आती है, जिससे सरकारी तंत्र पर भी संदेह की सुई घूमती है। गिरफ्तार राजवीर
सिंह भाटी ने जैसा स्वीकार किया कि उत्तार प्रदेश सार्वजनिक निर्माण एवं
विकास सहकारी समिति संघ लि. का उपाध्यक्ष उसे लखनऊ में मनोनीत किया गया।
स्टेट गेस्ट हाउस में उसके ठहरने की व्यवस्था की गई थी। वहीं पर उसे पुलिस
एस्कोर्ट व गनर प्रदान किया गया। मंगलवार शाम को वह लखनऊ से सीधे
गौतमबुद्ध नगर जिले के लिए सड़क मार्ग से रवाना हुआ। लखनऊ से गौतमबुद्ध नगर
के बीच साढ़े चार सौ किमी की दूरी है। इस दौरान आधा दर्जन जिलों की सीमा
उसने पार की। हर जिले में उसे पुलिस एस्कोर्ट प्रदान की गई। सवाल यह उठता
है कि राजवीर को एस्कोर्ट प्रदान करने के लिए हर जिले की पुलिस कंट्रोल
रूम को सूचना किसके कहने पर दी गई। सुरक्षा प्रदान करने से पहले किसी भी
जिले की पुलिस ने जांच करने का प्रयास क्यों नहीं किया? हालांकि गौतमबुद्ध
नगर के जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश के मुख्य सचिव को
इसकी सूचना दे दी गई। जांच कराने का प्रयास किया जा रहा है कि राजवीर को
किस आधार पर गनर व एस्कोर्ट उपलब्ध कराया गया।
ग्रेटर नोएडा, संवाददाता : किसी भी वीआईपी
व्यक्ति के जिले में प्रवेश करने से पहले जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी
जाती है। इसके बाद उसे विशेष दर्जा प्रदान किया जाता है, लेकिन एक साधारण
सा ठेकेदार रातों-रात राज्यमंत्री का दर्जा हासिल कर लेता है। कई जिलों की
पुलिस और प्रशासन की आंखों में धूल झोंक वह लखनऊ से गौतमबुद्ध नगर जिले तक
पुलिस एस्कोर्ट की सुविधा हासिल करता है, लेकिन हर जिले की पुलिस आंख मूंद
उसे वीआईपी का दर्जा देती है। किसी ने इसकी जांच कराने की जरूरत तक नहीं
समझी। आखिरकार वह यहां आकर पकड़ा गया। इस पूरे खेलमें कहीं न कहीं सरकारी
अमले के शामिल होने की बू आ रही है।
लाल बत्ताी लगाकर खुद को राज्यमंत्री बता पूरे जिले में घूम रहे
राजवीर सिंह भाटी का दो दिन पहले तक सत्तारूढ़ पार्टी से कोई नाता नहीं
था। अचानक वह लखनऊ पहुंचता है और वहां से गाड़ी में लाल बत्ताी लगाकर पुलिस
एस्कोर्ट के साथ जिले तक पहुंच जाता है। जगह-जगह उसका भव्य स्वागत किया
जाता है। आम जनता के साथ ही साथ बसपा नेता भी राजवीर के अचानक मंत्री बनने
पर भौचक्के रह जाते हैं, लेकिन उसके गिरफ्तार होते ही एक ऐसी सच्चाई सामने
आती है, जिससे सरकारी तंत्र पर भी संदेह की सुई घूमती है। गिरफ्तार राजवीर
सिंह भाटी ने जैसा स्वीकार किया कि उत्तार प्रदेश सार्वजनिक निर्माण एवं
विकास सहकारी समिति संघ लि. का उपाध्यक्ष उसे लखनऊ में मनोनीत किया गया।
स्टेट गेस्ट हाउस में उसके ठहरने की व्यवस्था की गई थी। वहीं पर उसे पुलिस
एस्कोर्ट व गनर प्रदान किया गया। मंगलवार शाम को वह लखनऊ से सीधे
गौतमबुद्ध नगर जिले के लिए सड़क मार्ग से रवाना हुआ। लखनऊ से गौतमबुद्ध नगर
के बीच साढ़े चार सौ किमी की दूरी है। इस दौरान आधा दर्जन जिलों की सीमा
उसने पार की। हर जिले में उसे पुलिस एस्कोर्ट प्रदान की गई। सवाल यह उठता
है कि राजवीर को एस्कोर्ट प्रदान करने के लिए हर जिले की पुलिस कंट्रोल
रूम को सूचना किसके कहने पर दी गई। सुरक्षा प्रदान करने से पहले किसी भी
जिले की पुलिस ने जांच करने का प्रयास क्यों नहीं किया? हालांकि गौतमबुद्ध
नगर के जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश के मुख्य सचिव को
इसकी सूचना दे दी गई। जांच कराने का प्रयास किया जा रहा है कि राजवीर को
किस आधार पर गनर व एस्कोर्ट उपलब्ध कराया गया।