जयपुर, जागरण संवाददाता: गए थे जिंदगी के
लिए खून चढ़वाने और अस्पताल ने रगों में मौत का सामान दौड़ा दिया। पांच
बच्चों को एचआईवी पाजीटिव संक्रिमत बना दिया। कुछ बच्चे हेपेटाइटिस सी की
चपेट में आ गए हैं। पहले से ही थैलेसीमिया पीड़ित इन बच्चों को मुख्यमंत्री
अशोक गहलोत के गृहक्षेत्र जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में संक्रमित खून चढ़ा
दिया गया। इस आरोप के विपरीत मंगलवार को राजस्थान सरकार ने सौंपी गई
रिपोर्ट के आधार पर उम्मेद अस्पताल को तकरीबन क्लीन चिट दे दी है।
मारवाड़ थैलेसीमिया सोसाइटी ने दिसंबर-2009 में जोधपुर में शिविर
लगाकर रोग पीड़ित बच्चों के टेस्ट कराए थे। इस जांच में पांच बच्चों को
एचआईवी पाजीटिव होने का खुलासा हुआ। कुछ बच्चे एचसीवी से संक्रमित पाए गए।
सबसे पहले एक बच्चे के एचआईवी पाजीटिव होने की पुष्टि एसएन मेडिकल कालेज
के माइक्रोबायोलाजी विभाग की ओर से दस जनवरी को जारी रिपोर्ट में की गई
थी। मारवाड़ थैलेसीमिया सोसाइटी के सदस्यों ने अस्पताल प्रबंधन को जानकारी
दी। प्रबंधन ने चुप्पी साध ली। अब मामला उजागर होने के बाद राज्य सरकार ने
राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के निदेशक आरएनडी पुरोहित की
अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर सात दिन में पूरे प्रकरण की
रिपोर्ट देने को कहा है। कमेटी में जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के
माइक्रोबायोलाजी विभाग की अध्यक्ष लीला व्यास और जोधपुर मेडिकल कालेज के
मेडिसन विभागाध्यक्ष डा.अरविंद माथुर को भी शामिल किया गया है। अब तक की
जानकारी के मुताबिक जो पांच बच्चे एचआईवी की चपेट में आए हैं, उनमें से
तीन जोधपुर जिले के और दो पाली जिले के हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने
जोधपुर मेडिकल कालेज प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी है।
सूत्रों के मुताबिक एसएन मेडिकल कालेज की ओर से भेजी गई जांच रिपोर्ट
में उम्मेद अस्पताल को लगभग क्लीन चिट दे दी गई है। एसएन मेडिकल कालेज के
कार्यकारी प्रिंसिपल डीबी गुप्ता ने कहा है-हमने सरकार को रिपोर्ट भेज दी
है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रक्त चढ़ाने के मामले निर्धारित मानक के
अनुरूप और नैको प्रमाणित प्रक्रिया अपनाई जाती है। लिहाजा एचआईवी संक्रमण
की आशंका निहायत कम रह जाती है। ऐसा भी हो सकता है कि संक्रमण कहीं और हुआ
हो। गौरतलब है कि इससे पहले पिछले साल श्रीगंगानगर जिले में भी इसी तरह का
मामला हुआ था उस समय दो बच्चों के संक्रमित खून चढ़ाया दिया गया था।