मौसम में उतार-चढ़ाव से फसलों को नुकसान

जयपुर, जागरण संवाद केंद्र : मौसम के मिजाज
में चल रहे उतार-चढ़ाव की मार अब चने की फसल पर पड़ने लग गई है। चने की
अगेती और मटर की पछेती फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप बढ़ने लगा है। इसका
सीधा असर चने के उत्पादन पर पड़ेगा।

कृषि विशेषज्ञों की राय में यह फली छेदक कीट का शुरुआती दौर है, अभी से
बचाव किया गया तो फसल में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। चने की
फसल में हो रहे नुकसान से काश्तकारों की चिंता बढ़ने लग गई है। कृषि
विशेषज्ञों का कहना है कि चने की फसल में टांट आने का समय है, इस समय ही
चने में फली छेदक कीट की प्राथमिक अवस्था होती है। उनका कहना है कि फली
छेदक कीट के प्रकोप का अभी तो यह शुरूआती दौर है। समय रहते स्प्रे करने से
कीट के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है। कीट की सबसे ज्यादा मार काबुली
चने पर पड़ रही है। देशी चने की फसल में भी इसका असर देखा जा रहा है। सूखे
के कारण खरीफ की फसल में हुए नुकसान की रबी की फसल में भरपाई होने की आस
लगाए बैठे किसानों को पिछले दिनों पड़ी तेज ठंड से सरसों में भी नुकसान हो
गया। अब चने की फसल से उम्मीद थी कि इससे सरसों में हुए नुकसान की भरपाई
हो जाएगी।

लेकिन फली छेदक कीट के प्रकोप ने उनकी चिंता एक बार फिर बढ़ा दी है।
काश्तकारों का कहना है कि चने की अधिक पैदावार होने की जो उम्मीद लगा रखी
थी वह उम्मीद कीड़े के प्रकोप ने धूमिल कर दी है। कृषि विशेषज्ञ भी चने की
फसल को कीट के प्रकोप से बचाने के लिए काश्तकारों को समय पर बचाव के उपाय
बता रहे हैं। उनका कहना है कि समय रहते दवाई छिड़कने पर इसका असर कम हो
सकता है। कृषि अनुसंधान केंद्र दुर्गापुरा के कृषि पर्यवेक्षक केपी सिंह
ने बताया कि जनवरी के अंत और फरवरी के प्रथम सप्ताह में चने की फसल पर फली
छेदक कीट की प्राइमरी स्टेज होती है, इससे बचाने के लिए किसानों को दस
लीटर पानी में 15 मिली. एंडोसल्फान मिलाकर उसका स्प्रे करना चाहिए। इसमें
फसल की कीट के प्रकोप से बचाया जा सकता है।

कीट के प्रकोप का शुरुआती दौर होने के कारण अभी तक ज्यादा नुकसान नहीं
हुआ है, लेकिन इस पर नियंत्रण के उपाय नहीं किए गए तो काफी नुकसान होने की
आशंका है। उन्होंने किसानों को समय रहते बचाव के उपाय करने की सलाह दी है।

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