वेंकटरमन ने कहा कि गवर्नमेंट की द्विअर्थी नीतियों ने चीनी की रेट कई
गुणा बढ़ा दी है। अभी भी इसकी वास्तविक रेट 14 रुपए है। इसकी रेट को
कंट्रोल किया जा सकता है।
जीएन वेंटरमन शनिवार को जयपुर चैप्टर में
आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने आए हुए थे। भास्कर से मुलाकात में
उन्होंने कहा कि कि चीनी की सप्लाई और डिमांड के बीच गैप आ चुका है। इसके
लिए गवर्नमेंट की गलत इंपोर्ट और एक्सपोर्ट नीतियां जिम्मेदार है।
हालांकि, चीनी की रेट काफी हद तक शुगर केन की फसल पर निर्भर करती है।
लेकिन कंपनियों की बैलेंस शीट में क्लोजिंग स्टॉक में सही दशार्या जाए तो
काफी हद तक रेट को कंटोल किया जा सकता है। इसमें कॉस्ट ऑफ अकाउंटेट अहम्
रोल अदा कर सकता है। अभी भी कंपनियों की ओर से किसानों को शुगर केन और
यील्ड की सही रेट नहीं दी जा रही है। शुगर इंडस्ट्रीज की ओर से किसानों को
वास्तविक रेट दिए जाने पर चीनी की कीमतें नियंत्रित की जा सकती है।
देशभर में दस लाख अकाउंटेट्स की जरूरत
आगामी
पांच छह सालों में पूरे भारत में दस लाख अकाउंटेट्स की जरूरत है। इसी को
मद्देनजर रखते हुए इंस्टीट्यूट ने एक साल का कैट कोर्स शुरू किया है।
इसमें 12वीं बाद किसी भी स्ट्रीम के स्टूडेंट्स एडमिशन ले सकते हैं।
मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स से मान्यता प्राप्त पहला जूनियर
अकाउंटेसी कोर्स है। छह पेपर के इस कोर्स में बीकॉम पास स्टूडेंट्स को चार
पेपर में छूट मिलेगी। उसे दो ही पेपर देने होंगे। प्राइवेट सेक्टर ही नहीं
पंचायती राज विभागों में इस कोर्स के स्टूडेंट्स को नौकरी मिलेगी।