बड़गांव. तेंदूपत्ता संग्रहण में रायल्टी
चोरी करने वाले ठेकेदार,वन कर्मियों के खिलाफ ग्रामीणों ने लिखित शिकायत
वन विभाग के आला-अधिकारियों से की, उसकी जांच भी हुई, शिकायत सही पाई गई।
इस मामले को साल भर हो गए,अब विभाग के अधिकारी इस मामले में लीपापेाती के
फेर में हैं।
क्या है मामला : वर्ष 2009 में तेंदूपत्ता सीजन में पर्व वन
मंडल भानुप्रतापपुर के करकापाल समिति में हैदराबाद के एक ठेकेदार ने
तेंदूपत्ता खरीदने का ठेका लिया था। ठेकेदार ने वनकर्मियों के साथ मिलकर
तेंदूपत्ता रायल्टी की चोरी की, जिसमें ठेकेदार ने सौ रुपए प्रति सैकड़ा
की दर से नगद भुगतान कर संग्राहकों से तेंदूपत्ता लिया, परंतु समिति के
मुंशी पर दबाव डाल कर उसे संग्रहण कार्ड में दर्ज नहीं होने दिया।
इसके कारण संग्राहकों को लाखों रुपए के बोनस का नुकसान उठाना पड़ा।
किसानों ने जब इसकी शिकायत की, तब ठेकेदार तोड़े गए तेंदूपत्ता नहीं लेने
की उन्हें धमकी दी। इस तरह ठेकेदार ने सरकार को लाखों रुपए का चूना लगा
दिया।
वनकर्मियों की मिली भगत : तेंदूपत्ता खरीदी में वनकर्मियों की
डच्यूटी पोषक अधिकारी के रूप में लगाई जाती है। करकापाल समिति में
तेंदूपत्ता उच्च क्वालिटी का होता है। इसका फायदा ठेकेदार ने वनकर्मी
(नोडल अधिकारी) के साथ मिलकर यह अफरा-तफरी की। शिकायत की जांच वन विभाग ने
धीमी गति से की, परंतु सच्चई सामने आ ही गई। जांच में ग्रामीणों के बयान,
कार्ड पर दर्ज संग्रहण दर्ज न होना। इससे भी नोडल अधिकारी की मिली-भगत
सामने आ गई। पर वन विभाग के उच्चधिकारी कार्रवाई न कर मामले को दबाने लगे
हैं।