भुवनेश्वर। विभिन्न स्तर पर विरोध का शिकार तथा जमीन अधिग्रहण के साथ अन्य
कई विंवादों के चलते अधर में लटके पोस्को द्वारा श्रमिकों के लिए पहली बार
पोस्को कंपनी द्वारा अर्थनैतिक पैकेज तैयार किया गया है। प्रस्तावित
पोस्को इलाके में स्थित पान की खेती में लिप्त किसानों के लिए पोस्को
द्वारा प्रस्तावित इस्पात कारखाना इलाके में विस्तृत पान की खेती है,
जिसमें लगभग 1 हजार भूमिहीन श्रमिक मजदूरों के तौर पर काम कर रहे है।
संपृक्त पान की खेती पर अगर पोस्को अपना प्रकल्प निर्माण करता है तो यहां
काम कर रहे श्रमिक अपना रोजी रोटी नहीं कमा पाएंगे। काफी दिनों तक संपृक्त
बातों पर विचार विमर्श होने के बाद पोस्को द्वारा इन मजदूरों के लिए
स्वतंत्र आर्थिक पैकेज तैयार कर रहे है। इसके अनुसार पान की खेती हटने के
दिन से लगभग 1 साल तक के समय लिए प्रति मजदूर को मासिक डेढ़ हजार रुपये
बेरोजगारी भत्ता मिलेगी। इन्हे प्रकल्प कार्य शुरू होते ही ठेकेदारों के
जरिये काम धंधा मुहैया करवाया जाएगा। काम मिलने के बाद उन्हे भत्ता प्रदान
नहीं किया जाएगा। ठेकेदारों द्वारा काम मुहैया करवाने के लिए श्रमिकों की
सूची तैयार की गयी है, जिसमें पान की खेती करने वाले भूमिहीनों को सबसे
आगे रखी गयी है। गौरतलब है कि ढिंकिआ, गोविंदपुर, नुआगां व पोलांग आदि
गांव में सर्वाधिक संख्यक पान की खेती है जबकि नोलिआसाही व भूआंपाल आदि
में कम संख्या में पान की खेती है। वर्ष 1973 के हिसाब के अनुसार 392 एकड़
जमीन में पान की खेती की गयी है। राज्य सरकार द्वारा घोषणा किये गये उड़ीसा
पुनर्वास व रखरखाव नीति-2006 के अनुसार मजदूरों के लिए कोई आर्थिक पैकेज
की व्यवस्था नहीं है।
कई विंवादों के चलते अधर में लटके पोस्को द्वारा श्रमिकों के लिए पहली बार
पोस्को कंपनी द्वारा अर्थनैतिक पैकेज तैयार किया गया है। प्रस्तावित
पोस्को इलाके में स्थित पान की खेती में लिप्त किसानों के लिए पोस्को
द्वारा प्रस्तावित इस्पात कारखाना इलाके में विस्तृत पान की खेती है,
जिसमें लगभग 1 हजार भूमिहीन श्रमिक मजदूरों के तौर पर काम कर रहे है।
संपृक्त पान की खेती पर अगर पोस्को अपना प्रकल्प निर्माण करता है तो यहां
काम कर रहे श्रमिक अपना रोजी रोटी नहीं कमा पाएंगे। काफी दिनों तक संपृक्त
बातों पर विचार विमर्श होने के बाद पोस्को द्वारा इन मजदूरों के लिए
स्वतंत्र आर्थिक पैकेज तैयार कर रहे है। इसके अनुसार पान की खेती हटने के
दिन से लगभग 1 साल तक के समय लिए प्रति मजदूर को मासिक डेढ़ हजार रुपये
बेरोजगारी भत्ता मिलेगी। इन्हे प्रकल्प कार्य शुरू होते ही ठेकेदारों के
जरिये काम धंधा मुहैया करवाया जाएगा। काम मिलने के बाद उन्हे भत्ता प्रदान
नहीं किया जाएगा। ठेकेदारों द्वारा काम मुहैया करवाने के लिए श्रमिकों की
सूची तैयार की गयी है, जिसमें पान की खेती करने वाले भूमिहीनों को सबसे
आगे रखी गयी है। गौरतलब है कि ढिंकिआ, गोविंदपुर, नुआगां व पोलांग आदि
गांव में सर्वाधिक संख्यक पान की खेती है जबकि नोलिआसाही व भूआंपाल आदि
में कम संख्या में पान की खेती है। वर्ष 1973 के हिसाब के अनुसार 392 एकड़
जमीन में पान की खेती की गयी है। राज्य सरकार द्वारा घोषणा किये गये उड़ीसा
पुनर्वास व रखरखाव नीति-2006 के अनुसार मजदूरों के लिए कोई आर्थिक पैकेज
की व्यवस्था नहीं है।