होटल निर्माण, पर्यटन गतिविधियों के संचालन, उद्योगों और शिक्षण
संस्थानों की स्थापना और हर्बल गार्डनिंग के नाम पर जमीन खरीदने वाले
व्यवसायियों को खरीद के बाद जमीन को तय समय के भीतर उपयोग में लाना
अनिवार्य होगा। तय अवधि में जमीन का उपयोग न करने पर खरीदार का जमीन पर
मालिकाना हक खत्म होगा और उसे हर्जाना भी भरना पड़ सकता है। धारा 118 के
तहत गैर हिमाचली सिर्फ उन स्थानों पर ही भूमि खरीद सकेंगे जिन्हें सरकार
उपरोक्त गतिवधियों के तौर पर विकसित कर रही है। नए प्रावधानों में ऐसे
व्यवसायियों पर अंकुश लगाया जाएगा जिन्होंने घोषित उद्देश्य को छोड़कर
खरीदी गई जमीन पर दूसरा कारोबार शुरू किया है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार सरकार धारा 118 के लगातार उल्लंघन की
शिकायतें मिलने पर इसे और कड़ा करने जा रही है। प्रदेश में कई ऐसे मामले
ध्यान में आए हैं जहां धारा 118 की अवहेलना हुई है। अभी तक किसी के खिलाफ
कोई कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि एक्ट की मौजूदा धारा में अवहेलना करने वाले
पर हर्जाने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। धारा 118 के तहत खरीदार को दी
गई रियायत में जमीन का अधिकार ग्रहण करने के बाद मात्र 6 माह की अवधि में
उस जमीन पर निर्माण संबंधी गतिविधियां शुरू करनी होंगी।
इस अवधि को मिलाकर संबंधित भूमि पर खरीदार को अगले 5 वर्षो में उस
क्षेत्र में काम पूरा करना होगा। बजट सत्र तक एक्ट में प्रस्तावित
संशोधनों को अंतिम रूप दिया जाएगा। राज्य में धारा 118 के तहत कोई भी गैर
हिमाचली 4 एकड़ यानी 20 बीघा तक ही जमीन खरीद सकता है, लेकिन राजस्व विभाग
के रिकार्ड में खरीदार गैर कृषक के तौर पर पंजीकृत रहेगा। होटल निर्माण,
पर्यटन गतिविधियों के संचालन, उद्योगों की स्थापना, शिक्षण संस्थानों की
स्थापना, हर्बल गार्डनिंग आदि के लिए धारा 118 के तहत भूमि खरीद की
स्वीकृति प्रदान की जाती है।
पावर ऑफ अटार्नी भी रिश्तेदार को
धारा 118 के अलावा हिमाचल में भूमि खरीदने के लिए पावर ऑफ अटार्नी को
और सख्त बनाया जा रहा है। गैर हिमाचली को अटार्नी सिर्फ सगे रिश्ते के लोग
ही दे सकेंगे। शिमला, सोलन से लेकर परवाणू तक नेशनल हाईवे के आस पास
दर्जनों ने गैर हिमाचली को अटार्नी दे रखी है। पावर ऑफ अटार्नी की आसान
शर्तो के मुताबिक कोई भी गैर हिमाचली किसी दूसरे के नाम पर जमीन खरीद सकता
है। इसमें बिल्डर अपने या किसी दूसरे हिमाचली के नाम पर जमीन खरीद कर गैर
हिमाचली को पावर ऑफ अटार्नी दे देते हैं। जमीन का मालिकाना हक रखने वाले
व्यक्ति को मोटी रकम चुकाई जाती है। राजस्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर ने
कहा कि इसमें संशोधन विचाराधीन है। वैसे तो धारा 118 पर्याप्त है लेकिन
कारगर ढंग से लागू करने के लिए कुछ सुधार आवश्यक है।