चंडीगढ़. 1993 बैच के आईएएस के. शिवा
प्रसाद के खिलाफ केस चलाने के लिए केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग ने
मंजूरी दे दी है। सीबीआई ने घटिया चावल लेने के तीन मामले शिवा प्रसाद पर
दर्ज किए हैं। एफसीआई के सीनियर रीजनल मैनेजर रहते हुए उन पर केस दर्ज किए
गए थे। मालूम हो कि सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने सितंबर और अक्टूबर
2005 में कई जिलों में छापे मारकर 451 सैंपल कलेक्ट किए थे।
ये सभी सैंपल एफसीआई द्वारा मिलों से लिए गए चावल के थे, जिनमें से
मात्र 13 सैंपल ही पास हुए, शेष 438 सैंपल फेल हो गए। इनमें से 91 सैंपल
तो ऐसे थे, जो मानवीय खुराक बनने के काबिल नहीं थे, जबकि शेष रिजेक्शन
लिमिट से भी नीचे थे। एफसीआई ने दो फीसदी अनिवार्य तौर पर कराई जाने वाली
सैंपल की चेकिंग भी प्रयोगशाला में नहीं करवाई।
केवल 3566 सैंपल की चैकिंग कराई गई, जो सिर्फ 0.01 फीसदी सैंपल ही बनते
हैं। सीबीआई की जांच में प्रसाद की इस घोटाले में शमूलियत पाई गई। सीबीआई
के इन्हीं तथ्यों के आधार पर केंद्र सरकार के पर्सनल एंड ट्रेनिंग विभाग
ने उनके ऊपर मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। सीबीआई की पटियाला स्थित विशेष
अदालत में उनके खिलाफ जांच एजेंसी ने तीन चार्जशीट दायर कर दी है। अदालत
ने के.शिवा प्रसाद को 20 फरवरी 2010 के सम्मन भेजे हैं। के.शिवा प्रसाद इन
दिनों पंजाब भवन दिल्ली में रेजिडेंट कमिश्नर के पद पर तैनात हंै।
सूत्रों की मानें तो यह लगभग 700 करोड़ रुपए का घोटाला है। जिन राज्यों
में चावल की कमी है उनमें घटिया दर्जे का चावल सप्लाई किया गया है। सीबीआई
ने पंजाब स्थित गोदामों के अलावा मेरठ व हैदराबाद में भी छापे मारे थे।
एफसीआई के कई सहायक जिला मैनेजर, तकनीकी सहायक, जिला मैनेजर भी इस घोटाले
में शामिल हैं जिनके खिलाफ केस सीबीआई चला रही है।