हाईकोर्ट ही दिलाएगा किसानों को इंसाफ

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो : दिल्ली देहात से
जुड़ी एसोसिएशनों का मानना है कि पिछले डेढ़ वर्ष से अपने हक की लड़ाई लड़
रहे कंझावला के किसानों को दिल्ली हाईकोर्ट से ही इंसाफ मिलेगा। कृषि भूमि
को उद्योगों के लिए अधिगृहीत किए जाने पर बीते दिनों हाईकोर्ट द्वारा
केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब तलब किया गया है।

दिल्ली के उत्तार पश्चिमी क्षेत्र स्थित कंझावला के किसानों ने
हाईकोर्ट के सामने सरकार की कारगुजारी बयां की तो अदालत भी सोचने को मजबूर
हो गई। बीते दिनों कंझावला की निर्मला, रवि कुमार, इंद्रजीत सिंह, अजीत
सिंह, बलजीत सिंह, ताराचंद, रोहताश सिंह, जय सिंह, राज सिंह, नीरज कुमार,
चेतक समेत 27 किसानों व भूमि बचाओ आंदोलन की तरफ से पेश हुई याचिका में
दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ अपील हुई है। किसानों की ओर से अधिवक्ता
संजय पारेख ने कोर्ट में दलील दी कि 60 फीसदी से ज्यादा लोग कृषि पर ही
निर्भर हैं। उनकी जमीन अधिगृहीत होती रहेगी तो बचेगा क्या। किसी भी दशा
में कृषि भूमि का अधिगृहण रोका जाए।

इसे लेकर चीफ जस्टिस ए.पी.शाह और जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की बेंच ने
किसानों के इस सवाल को बेहद अहम बताते हुए कृषि मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण
मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय समेत दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से जवाब
मांग लिया है। सुनवाई की अगली तारीख 24 फरवरी मुकर्रर हुई है।

संजय डबास और पूर्व विधायक चौधरी चांदराम का मानना है कि सिर्फ
हाईकोर्ट ही ऐसा माध्यम है जो किसानों को इंसाफ दिला सकता है। दिल्ली
ग्राम सुधार महासभा 360 के महासचिव डा.राम निवास सहरावत का कहना है कि
किसानों की मांग को हाईकोर्ट द्वारा बेहद महत्वपूर्ण बताया जाना ये
दर्शाता है कि कृषकों का संघर्ष सही दिशा में है। आर्यावर्त ग्रामीण
कल्याण एवं विकास संस्था के महासचिव के.के.आर्य का कहना है कि अधिगृहण पर
रोक लगे और सिर्फ अन उपजाऊ भूमि ही उद्योगों के लिए अधिगृहीत करने दी जाए।
न कि कृषि भूमि। इसी कड़ी में महावीर विहार जन कल्याण समिति, ग्राम सुधार
समिति मदनपुर समेत अन्य संगठनों ने भी हाईकोर्ट पर ही भरोसा जताया है।

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