बाड़मेर. पंद्रह साल पहले खुद गांव वालों के बनाए नियम ने
बाड़मेर से 25 किलोमीटर दूर ‘डूंगेरों का तला’ गांव की बेटियों की तकदीर
संवार दी। यह ऐसा गांव है, जहां घर की बेटी को स्कूल नहीं भेजने पर
जुर्माना लगता है। नतीजा, हर बेटी यहां पढ़ने जाती है।
बाड़मेर से 25 किलोमीटर दूर ‘डूंगेरों का तला’ गांव की बेटियों की तकदीर
संवार दी। यह ऐसा गांव है, जहां घर की बेटी को स्कूल नहीं भेजने पर
जुर्माना लगता है। नतीजा, हर बेटी यहां पढ़ने जाती है।
20 साल पहले यहां एक भी लड़की पढ़ी-लिखी नहीं थी। दो दशक पहले तक समाज
में फैली कुरीतियों के कारण ग्रामीण बेटियों को स्कूल भेजने से कतराते थे।
१९९५ में एक सामाजिक सम्मेलन में इस बारे में चर्चा छिड़ी। इसके बाद गांव
के बड़े-बुजुर्गो ने एक जाजम पर बैठकर हर घर की बेटी को शिक्षित करने का
नियम बना दिया। इस नियम का पालन नहीं करने पर जुर्माना वसूलने का निर्णय
लिया गया।