जगदलपुर. माओवादियों ने मानवाधिकार
कार्यकर्ता मेधा पाटकर, संदीप पांडे जैसे ख्यातिनाम गांधीवादियों पर
दंतेवाड़ा में अंडे, कीचड़, टमाटर फेंक विरोध जताने को पुलिस प्रशासन और
कांग्रेस-भाजपा द्वारा प्रायोजित बताते हुए इसकी निंदा करने को कहा है।
भाकपा माओवादी दरभा डिविजनल कमेटी के सचिव गणोश उईके ने समाचार पत्रों
को जारी बयान में कहा है कि दंतेवाड़ा-बीजापुर को अर्धसैनिक बलों की छावनी
बना दिया गया है।
अपने बयान में कमेटी के सचिव ने कहा बस्तर में लोकतंत्र के नाम पर भाजपा और कांग्रेस गठजोड़ बना पुलिस राज चला रही है।
यहां नागरिक प्रशासन नहीं है। बल्कि डीआईजी कल्लूरी, आईजी लांगकुमेर और
एसपी की हुकूमत सर्वोपरि है। साल भर मे केवल दंतेवाड़ा जिले में ही सात
बड़े नरसंहारों में 75 बेगुनाह आदिवासियों की निर्मम हत्या की गई है।
महिलाओं से बलात्कार हुए और खेत-खलिहानों को जला दिया गया है।
संविधान के प्रावधानों का पालन सरकार खुद नहीं कर रही है। बस्तर के
बहुमूल्य खनिज टाटा, एस्सार, जिंदल, मित्तल, वेदांत जैसे कारपोरेट घरानों
को सौंपने के लिए आपरेशन ग्रीन हंट जैसे युद्ध छेड़े गए हैं। आदिवासियों
को उनके पुश्तैनी गांवों से खदेड़ा जा रहा है।
लोकतंत्र के नाम निर्वाचित सदस्य भी पुलिस के आत्याचारों का खुलेआम
समर्थन कर रहे हैं। लोकतंत्र की बात कहने वाले गांधीवादी तरीके से भी
विरोध नहीं सह पा रहे हैं।
दंतेवाड़ा-बीजापुर में एक तरह से आपातकाल लागू होने की बात कहते हुए गणोश
उइके ने यहां अफगानिस्तान जैसा शासन होने और आजाद प्रेस को ढकोसला होने की
बात कही है।