सलूणी : ग्लोबल वार्मिग के असर के चलते प्रतिदिन बढ़ रहे तापमान के कारण
विकास खंड सलूणी के बागवानों को सेब की उपज को लेकर चिंता सताने लगी है।
उपमंडल सलूणी के बागबानों को चिंता सता रही है कि जिस प्रकार ग्लोबल
वार्मिग के असर के चलते विगत वर्ष सेब की उपज के लिए 7 डिग्री से नीचे का
तापमान पूर्ण नहीं हो पाया था और सेब की पैदावार कम हुई थी। उसी प्रकार इस
वर्ष भी तापमान में लगातार हो रही वृद्धि के चलते सेब की पैदावार कम होने
का अंदेशा है। बागबानों का कहना है कि तापमान यूं ही बढ़ता रहा तो क्षेत्र
के लगभग 1703 हैक्टयर पर फैले सेब के लगभग छह लाख अस्सी हजार पौधों का
वजूद ही खत्म हो जाएगा। जिससे कि अपने परिवारों के भरण-पोषण के लिए बागों
पर ही निर्भर बागबानों को परिवारों का भरण पोषण करने की भी मुसीबत आन खड़ी
होगी। बागबानों के अनुसार सेब को आवश्यक नमी नहीं मिलेगी तो तो वे पैदावार
देने की बजाय सूख जाएंगे। वर्तमान में विकास खंड सलूणी में लगभग 2162
हैक्टेयर पर बागवानी हो रही है जिसमें से 1703 हैक्टेयर पर सेब के बागीचे
व 459 हैक्टेयर पर खुमानी, आड़ू, सफैदा, पलम व नींबू आदि लगे हुए हैं। मौसम
की बेरुखी से अन्य फलदार पौधों पर तो असर नहीं पड़ रहा मगर सेब की पैदावार
के लिए बारिश व बर्फबारी काफी महत्व रखती है। आठ सौ से सोलह सौ तक चिलिंग
आवर पूरे न होने पर सेब की पैदावार पर इसका सीधा असर पड़ता है। उधर इस बारे
उद्यान विकास अधिकारी सलूणी डाक्टर जितेंद्र कुमार बिज ने भी कहा कि सलूणी
में 1703 हैक्टेयर पर सेब के लगभग 6 लाख 80 हजार पौधे लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सेब की पैदावार के लिए 800 से 1600 चिलिंग आवर पूरे होने
के लिए 7 डिग्री से कम तापमान की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि
चिलिंग आवर पूरे नहीं होने पर पैदावार कम होती है। उन्होंने कहा कि आवश्यक
नमी न मिलने पर सेब के पौधे सूख भी सकते हैं।
विकास खंड सलूणी के बागवानों को सेब की उपज को लेकर चिंता सताने लगी है।
उपमंडल सलूणी के बागबानों को चिंता सता रही है कि जिस प्रकार ग्लोबल
वार्मिग के असर के चलते विगत वर्ष सेब की उपज के लिए 7 डिग्री से नीचे का
तापमान पूर्ण नहीं हो पाया था और सेब की पैदावार कम हुई थी। उसी प्रकार इस
वर्ष भी तापमान में लगातार हो रही वृद्धि के चलते सेब की पैदावार कम होने
का अंदेशा है। बागबानों का कहना है कि तापमान यूं ही बढ़ता रहा तो क्षेत्र
के लगभग 1703 हैक्टयर पर फैले सेब के लगभग छह लाख अस्सी हजार पौधों का
वजूद ही खत्म हो जाएगा। जिससे कि अपने परिवारों के भरण-पोषण के लिए बागों
पर ही निर्भर बागबानों को परिवारों का भरण पोषण करने की भी मुसीबत आन खड़ी
होगी। बागबानों के अनुसार सेब को आवश्यक नमी नहीं मिलेगी तो तो वे पैदावार
देने की बजाय सूख जाएंगे। वर्तमान में विकास खंड सलूणी में लगभग 2162
हैक्टेयर पर बागवानी हो रही है जिसमें से 1703 हैक्टेयर पर सेब के बागीचे
व 459 हैक्टेयर पर खुमानी, आड़ू, सफैदा, पलम व नींबू आदि लगे हुए हैं। मौसम
की बेरुखी से अन्य फलदार पौधों पर तो असर नहीं पड़ रहा मगर सेब की पैदावार
के लिए बारिश व बर्फबारी काफी महत्व रखती है। आठ सौ से सोलह सौ तक चिलिंग
आवर पूरे न होने पर सेब की पैदावार पर इसका सीधा असर पड़ता है। उधर इस बारे
उद्यान विकास अधिकारी सलूणी डाक्टर जितेंद्र कुमार बिज ने भी कहा कि सलूणी
में 1703 हैक्टेयर पर सेब के लगभग 6 लाख 80 हजार पौधे लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सेब की पैदावार के लिए 800 से 1600 चिलिंग आवर पूरे होने
के लिए 7 डिग्री से कम तापमान की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि
चिलिंग आवर पूरे नहीं होने पर पैदावार कम होती है। उन्होंने कहा कि आवश्यक
नमी न मिलने पर सेब के पौधे सूख भी सकते हैं।