नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो : राजधानी के
उत्तार पश्चिमी क्षेत्र के कंझावला इलाके में कृषि भूमि को उद्योगों के
लिए अधिगृहीत किए जाने पर हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब तलब
किया है। कंझावला के किसानों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ
जस्टिस अजीत प्रकाश शाह और जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की बेंच ने कहा कि ये
बेहद महत्वपूर्ण सवाल है कि कृषि योग्य भूमि का प्रयोग गैर कृषि कार्यो के
लिए हो रहा है। अदालत ने कृषि मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय समेत जल
संसाधन मंत्रालय और दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से सफाई मांगी है।
बुधवार को हाईकोर्ट में कंझावला की निर्मला, रवि कुमार, इंद्रजीत सिंह,
अजीत सिंह, बलजीत सिंह, ताराचंद, रोहताश सिंह, जय सिंह, राज सिंह, नीरज
कुमार, चेतक समेत 27 किसानों और भूमि बचाओ आंदोलन की तरफ से पेश याचिका
में सरकार के फैसले के खिलाफ अपील की गई। किसानों का कहना है कि उनकी जमीन
को औद्योगिक कार्य के लिए लिया गया है। पेश मामले में सरकार ने उत्तार
पश्चिम क्षेत्र के कंझावला इलाके की 281 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने के लिए
अधिसूचना जारी की। इसके लिए मुआवजा देने की कोशिश की गई, लेकिन किसानों ने
लेने से इंकार कर दिया। सरकारी कार्रवाई को चुनौती देते किसानों की ओर से
याचिका पेश करते हुए अधिवक्ता संजय पारिख ने हाईकोर्ट से सरकार को ऐसा
करने से रोकने संबंधी निर्देश देने की मांग की। उनके मुताबिक किसानों का
कहना है कि कृषि भूमि को शहरीकरण के चलते लगातार गैर कृषि क्षेत्र में
लाया जा रहा है। यही हाल रहा तो हमारी अन्न सुरक्षा संकट में पड़ जाएगी।
वहीं, कंझावला एक्सटेंशन रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान संजय
डबास ने कहा है कि पिछले लंबे समय से अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे
किसानों और ग्रामीणों को दिल्ली हाईकोर्ट से ही इंसाफ मिलेगा।