कठुआ, वरिष्ठ संवाददाता : देश में बढ़ती आबादी से आने वाले समय में होने
वाली समस्याओं को देखते हुए सरकार ने कई उपाय शुरू कर रखे है। इसमें सबसे
महत्वपूर्ण परिवार नियोजन कार्यक्रम है, जो पूरे देश में चलाया जा रहा है।
लेकिन समाज में कुछ ऐसे भी लोग है, जिन्हें सरकार के इस कार्यक्रम से कुछ
लेना देना नहीं है। वे अभी भी 12-12 बच्चे पैदा कर सरकार के कार्यक्रमों
को झटका दे रहे है। कुछ ऐसा ही हाल जखबड़ गांव में गुज्जार मोहम्मद हुसैन
का है, जिसके 12 बच्चे है। उसे न तो इस महंगाई में इतने बच्चों का पालन
करने की चिंता है और न ही सरकार की परिवार नियोजन की। 12 बच्चे कैसे हो
गए, पर गुज्जार का कहना है कि यह उसकी मजबूरी रही है। इस बारे में हुसैन
का कहना है कि पहली औरत की जब मौत हुई थी, उस समय उसके दो बच्चे थे। उसके
बाद दूसरी शादी जिस महिला से हुई उसको पहले से ही चार बच्चे थे। मजबूरी
में उसने उसे बच्चों सहित अपना लिया। लेकिन जब शादी हुई तो और बच्चे होना
स्वाभाविक था। बाद में उसने और चार बच्चों को जन्म दिया। ऐसे करते-करते 12
बच्चे हो गए। हैरानी इस बात की है कि पशुपालन का धंधा होने के बाद भी
हुसैन को बच्चों की इतनी फौज के पालन पोषण की चिंता नहीं है। वह आराम से
अपना जीवन सभी बच्चों के साथ खुशी-खुशी बिता रहा है। इस संबंध में डिप्टी
सीएमओ डा. आरएस वजीर ने बताया कि गुज्जार समुदाय आज भी परिवार नियोजन जैसे
कार्यक्रमों के प्रति जागरूक नहीं हो पाया है, जिसका मुख्य कारण निरक्षरता
है।
वाली समस्याओं को देखते हुए सरकार ने कई उपाय शुरू कर रखे है। इसमें सबसे
महत्वपूर्ण परिवार नियोजन कार्यक्रम है, जो पूरे देश में चलाया जा रहा है।
लेकिन समाज में कुछ ऐसे भी लोग है, जिन्हें सरकार के इस कार्यक्रम से कुछ
लेना देना नहीं है। वे अभी भी 12-12 बच्चे पैदा कर सरकार के कार्यक्रमों
को झटका दे रहे है। कुछ ऐसा ही हाल जखबड़ गांव में गुज्जार मोहम्मद हुसैन
का है, जिसके 12 बच्चे है। उसे न तो इस महंगाई में इतने बच्चों का पालन
करने की चिंता है और न ही सरकार की परिवार नियोजन की। 12 बच्चे कैसे हो
गए, पर गुज्जार का कहना है कि यह उसकी मजबूरी रही है। इस बारे में हुसैन
का कहना है कि पहली औरत की जब मौत हुई थी, उस समय उसके दो बच्चे थे। उसके
बाद दूसरी शादी जिस महिला से हुई उसको पहले से ही चार बच्चे थे। मजबूरी
में उसने उसे बच्चों सहित अपना लिया। लेकिन जब शादी हुई तो और बच्चे होना
स्वाभाविक था। बाद में उसने और चार बच्चों को जन्म दिया। ऐसे करते-करते 12
बच्चे हो गए। हैरानी इस बात की है कि पशुपालन का धंधा होने के बाद भी
हुसैन को बच्चों की इतनी फौज के पालन पोषण की चिंता नहीं है। वह आराम से
अपना जीवन सभी बच्चों के साथ खुशी-खुशी बिता रहा है। इस संबंध में डिप्टी
सीएमओ डा. आरएस वजीर ने बताया कि गुज्जार समुदाय आज भी परिवार नियोजन जैसे
कार्यक्रमों के प्रति जागरूक नहीं हो पाया है, जिसका मुख्य कारण निरक्षरता
है।