नई
दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। बाल वेश्यावृति पर गंभीर चिंता जताते हुए कोर्ट
ने सरकार से उनका ठीक-ठाक पुनर्वास करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि
उन्हें मुक्त करा कर गलियों में छोड़ देने से कुछ नहीं होगा। जब तक उनके
पुनर्वास का ठीक-ठाक इंतजाम ना हो, सरकार उनकी शिक्षा और आश्रय का इंतजाम
करे। कोर्ट ने ये टिप्पणियां बाल मजदूरी, वेश्यावृति और अंगों के व्यापार
के लिए बच्चों की तस्करी की समस्या पर सुनवाई के दौरान कीं। कोर्ट ने
मौजूदा कानूनों को लागू करने और बच्चों के हित के लिए दिशा-निर्देश तय
करने का मन बनाया है। इस सबके अलावा कोर्ट सेक्स टूरिज्म के पहलू पर भी
विचार करेगा।
एक गैर सरकारी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका
दाखिल कर उपरोक्त मुद्दों को उठाया है। याचिका में कोर्ट से बाल शोषण
रोकने और मौजूदा कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू कराने की मांग की गई है।
यह याचिका पिछले करीब चार सालों से लंबित है। शुक्रवार को इस पर सुनवाई के
दौरान सालीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने बच्चों को शोषण मुक्त कराए जाने
के लिए एक ड्राफ्ट रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी। सुब्रमण्यम ने कहा कि उन्होंने
रिपोर्ट में मुख्य रूप से बाल शोषण रोकने और बच्चों को मुक्त कराने पर
ध्यान दिया है। सुब्रमण्यम ने कहा कि पुलिस को बच्चों के प्रति संवेदनशील
करने की जरूरत है। वैश्यावृत्ति के लिए हो रही बच्चों की तस्करी रोकना
प्राथमिकता है। इस समस्या पर एनएचआरसी भी दिशा-निर्देश जारी कर चुका है।
कई कानून भी हैं लेकिन इन्हें प्रभावी ढंग से लागू किए जाने की जरूरत है।
मुक्त कराई गई बच्चियों का पुनर्वास बहुत जरूरी है। इस कार्य में लगे
गैरसरकारी संगठनों को बाल आयोग या महिला आयोग में पंजीकृत होना चाहिए।
उनके सुझावों पर संतुष्टि जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी व
न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक की पीठ ने कहा कि इसमें आम जनता की भी भागीदारी
होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि उन्होंने एक रिपोर्ट देखी है जिसके मुताबिक
वेश्यावृत्ति में अधिकतर बच्चियां हैं। मुक्त कराई गई बच्चियों के
पुनर्वास पर जोर देते हुए कोर्ट ने कहा कि कई बार देखा गया है कि
माता-पिता ही अपनी बच्चियों को वापस लेने को तैयार नहीं होते इसके पीछे
बदनामी और गरीबी कारण होती है। पीठ ने कहा कि वे ऐसे दिशा-निर्देश जारी
करेंगे जो लागू हो सकें। पीठ ने मामले को हर शुक्रवार सुनवाई के लिए लगाए
जाने का निर्देश दिया है।