भोपाल। सरकारी संसाधन सीमित हैं, निजी
विश्वविद्यालय स्थापित होने से राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में
मदद मिलेगी। आने वाले चार वर्ष प्रदेश में शिक्षा की क्रांति के वर्ष
होंगे। राज्य सरकार विश्वविद्यालय के लिए निवेश करने वालों को सुविधाएं
उपलब्ध कराएगी। साथ ही प्रदेश के सभी अंचलों में निजी विश्वविद्यालय व
संस्थाओं की स्थापना के प्रयास करेगी।
उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने बुधवार को निजी
विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के कार्यालय का शुभारंभ करते हुए बुधवार को
यह बात कही। कार्यक्रम में आयोग के अध्यक्ष प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय,
प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा जयदीप गोविंद, हिंदी ग्रंथ अकादमी के संचालक डॉ.
गोविंद प्रसाद शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे। इस मौके पर उच्च शिक्षा
मंत्री श्री शर्मा ने कहाकि आयोग का कामकाज शुरू होने से प्रदेश में निजी
विवि की स्थापना जल्द होने की उम्मीद बढ़ गई है। उन्होंने आयोग अध्यक्ष
प्रो. अखिलेश पांडेय से कहाकि नियमानुसार परीक्षण व निरीक्षण कर जल्द ही
अपनी अनुशंसा राज्य शासन को भेज दें। इनमें राज्य और विद्यार्थियों के हित
को सर्वोपरि मानें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय पर एक
उत्कृष्ट महाविद्यालय विकसित किया जाएगा। राज्य शासन की मंशा है कि प्रदेश
में उत्कृष्ट निजी विश्वविद्यालय और अच्छे शिक्षा संस्थान स्थापित हो ताकि
प्रदेश के विद्यार्थियों को प्रदेश और देश से बाहर नहीं जाना पड़े। राज्य
सरकार शासकीय महाविद्यालयों में ज्यादा फीस नहीं रख सकती क्योंकि गरीब
वर्ग का व्यक्ति ज्यादा फीस नहीं दे सकता। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा जयदीप
गोविन्द ने कहा कि निजी विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए लगभग 40
प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। यह सभी प्रस्ताव विनियामक आयोग को भेजे जाएंगे।
आयोग इन पर तत्परता से परीक्षण कर कार्यवाही करेगा। ताकि निजी
विश्वविद्यालय शीध्र स्थापित हो सकें। आयोग के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश पाण्डे
ने कहा कि रोजगार मूलक शिक्षा को बढ़ाना आवश्यक है। विश्वविद्यालयों में
अधिकाधिक प्रवेश सुनिश्चित करना जरूरी है। इसमें निजी विश्वविद्यालय और
महाविद्यालय भूमिका निभा सकते है। कार्यक्रम में आरजीपीवी के कुलपति
प्रो.पीयूष त्रिवेदी, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविंद्र
जैन, मेपकास्ट के डायरेक्टर प्रो.पीके वर्मा सहित आयोग के सदस्य, विभाग के
अधिकारी, कालेज प्राचार्य व भोज विवि के कर्मचारी-अधिकारी बड़ी संख्या में
मौजूद थे।