कानपुर। अब हाइड्रोजन से कार ही नहीं चलेगी,
बिजली बनेगी। लोग घर में अपने जरूरत के मुताबिक बिजली का उत्पादन कर
सकेंगे। भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर मे तेजी से काम चल रहा है। एक पेंसिल
बल्ब जलाने में सफलता मिल गयी। 2015 तक पांच किलोवाट उत्पादन क्षमता का
पावर हाउस सिस्टम विकसित कर लिया जायेगा।
बढ़ती ग्लोबलवार्मिग और घटते पेट्रोलियम व कोयले के भंडार को देखते
हुए हाइड्रोजन को भविष्य के ईधन रूप में देखा जा रहा है। आईआईटी में चल
रही एनर्जी कान्क्लेव में आये बार्क के वैज्ञानिक दीप प्रकाश का कहना है
कि हाइड्रोजन भंिवष्य का बेहतरीन ऊर्जा स्रोत है। इसके उत्पादन, भंडारण
उपयोगिता पर काम हो रहा है। साधारण पानी, आयोडीन, सल्फर जैसे रसायन मिलाकर
विद्युतधारा प्रवाहित कर आयनाइजेशन से हाइड्रोजन प्राप्त किया जा सकता है।
इसके लिए 1000 सेंटीग्रेट क्षमता का रिएक्टर बना लिया गया है।
उन्होंने कहा अभी तक के मॉडल में हाइड्रोजन को चूरे के रूप में रखने
की योजना बनी है। इस चूरे को इलेक्ट्रो केमिकल रिएक्शन से इलेक्ट्रिसिटी
में बदलने का मॉडल तैयार कर लिया गया है। अमेरिका में इस पर तेजी से काम
हुआ है। बार्क में अभी तक एक पेंसिल बल्ब जलाया गया है। जल्द ही 75 वाट का
बल्ब जलाने पर कार्य हो रहा है। इसके बाद एक किलोवाट व फिर पांच किलोवाट
विद्युत उत्पादन क्षमता वाली इलेक्ट्रो केमिकल डिवाइस तैयार की जायेगी।
2015 तक यह डिवाइस बाजार में आ जायेगी। इस मॉडल से हाइड्रोजन का उपयोग
वाहन और दूसरे संसाधनों में भी किया जा सकता है। साथ ही सबसे सुरक्षित है।
हाइड्रोजन को चूरे में रखने की योजना है, इसलिए दुर्घटना या गिरने से आग
लगने की संभावना नहीं है। इसलिए यह वाहनों के लिए सुरक्षित ईधन होगा।