बैल आधारित खेती की ओर लौटेगा मध्यप्रदेश

भोपाल। सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में
कदमताल करने के लिए आईटी पार्क बनाने वाला मध्यप्रदेश खेती के मामले में
जैविक और पशु आधारित तरीके को अख्तियार करने जा रहा है। कृषि मंत्री डॉ.
रामकृष्ण कुसमारिया प्रदेश की जैविक कृषि नीति का प्रारुप को अंतिम रूप
देने में जुटे हैं। इस प्रारूप को 16 जनवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
चौहान को सौंपा जाएगा।

अनाज उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद की बढ़ती मांग के बीच सरकार
जैविक नीति में ऐसे प्रावधान कर रही है कि जैविक पद्धति से खेती वाले
स्थानों पर रासायनिक खाद की बिक्री पर रोक लगे। इसके साथ ही इन क्षेत्रों
में मशीनों के जरिए कृषि कार्य को हतोत्साहित करने के साथ हल-बैल आधारित
खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। गांवों में जैविक खेती के लिए जरूरत का पशुधन,
गोबर और ग्रीन मेन्योर आदि की व्यवस्था करने का प्रबंध भी नीति में किया
गया है। इसके लिए गांवों में गौशालाएं खोली जाएंगी। इन क्षेत्रों में
कीटनाशक के तौर पर गौमूत्र और नीम की पत्तियां तथा फलों का प्रयोग होगा।
कुसमारिया दावा करते हैं कि जैविक पद्धति से खेती करने वालों को रासायनिक
खाद और कीटनाशक की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। उनका दावा यह भी है कि प्रदेश की
जैविक नीति देश में अपनी तरह की सर्वश्रेष्ठ नीति होगी। इसमें खेती की
परंपरागत पद्धतियों को बढ़ावा देने के साथ ही पशुधन और पर्यावरण के अनुकूल
वृक्षारोपण को महत्व दिया गया है। नई नीति में प्रत्येक विकासखण्ड में
दस-दस आदर्श जैविक फार्म तैयार करने की योजना बनाई गई है। किसानों को
जैविक पद्धति से खेती के फायदे बताने के लिए कार्यशालाएं और भ्रमण के
कार्यक्रम भी कृषि विभाग द्वारा कराए जाएंगे। इस नीति के जरिए सरकार की
सोच है कि अगले दस साल में चरणबद्ध ढंग से प्रदेश के पूरे खेती के
परिदृश्य को जैविक रीति में बदला जाए। कुसमारिया कहते हैं कि जैविक विधि
से उपजाए जाने वाले अन्न से विभिन्न बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलेगी
और अनाज का उत्पादन बढ़ेगा। इस नीति का प्रारूप सोलह जनवरी को मुख्यमंत्री
को सौंप दिया जाएगा। राज्यमंत्रिपरिषद की मंजूरी मिलने और त्रिस्तरीय
पंचायत चुनाव की आचार संहिता हटते ही इस नीति को लागू करने की तैयारी हो
रही है।

कामधेनु और कल्पवृक्ष

योजनाएं चलेंगी

नई जैविक नीति में पशुधन और नीम जैसे कीटनाशक पेड़ों को बढ़ावा देने के
लिए कृषि विभाग दो योजनाएं भी शुरू करने का प्रावधान कर रहा है। कामधेनु
योजना के जरिए गांवों में गाय और गौवंश की तादाद बढ़ाया जाएगा। इसी तरह
कल्पवृक्ष योजना में खेती के काम आने वाले पेड़ पौधों को बढ़ाने का प्रबंध
होगा।

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