ठंड व भूख से बिरहोरों का जीवन बना नरक

हजारीबाग। राज्य स्थापना के नौ वर्ष बाद भी जिले की लुप्तप्राय जनजाति
बिरहोरों की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। कड़ाके की ठंड में भी उनके पास
न तो पर्याप्त संख्या में कंबल है और न ही खाने को पर्याप्त अनाज। उक्त
बातें स्वयं सेवी संस्था प्रत्यंचा द्वारा पिछले दिनों नवसृजित कटकमदाग
प्रखंड ढेंगुरा पंचायत तथा डेमोटांड स्थित बिरहोर कालोनी में कराए गए
सर्वेक्षण से उजागर हुईं। सर्वे में बताया गया कि ढेंगुरा पंचायत के
पननवाटांड में रहने वाले बिरहोरों के बीच अब तक न तो सरकार की ओर से और न
ही गैर सरकारी संस्था की ओर से कंबल नहीं बांटा गया। लाल कार्ड रहने के
बावजूद पिछले चुनाव के कारण कई महीनों से राशन भी नहीं मिल पाया है। बताया
गया कि पननवाटांड में 14-15 घरों में 70 से अधिक बिरहोर निवास करते हैं
मगर वह पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ्य की समस्या से ग्रसित हैं। डेमोटांड
बिरहोर कालोनी के सर्वें से यह बात उजागर हुई कि यहां 50-60 घर होने के
बावजूद केवल 20-25 घरों में ही कंबल का वितरण किया गया। अधिकांश बिरहोर
भीख मांगकर, जड़ी-बूटी बेचकर जीवन यापन करते हैं। सर्वे कार्य में संस्था
के अध्यक्ष विशाल कुमार, सचिव राजीव रंजन दूबे, कोषाध्यक्ष दिलीप वर्मा
सहित गणेश कुमार, राजेश कुमार, दीपक कुमार, संजय कुमार आदि ने अहम भूमिका
निभाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *