चंडीगढ़ -सड़कों पर ट्रैक्टर-ट्रालियों से
बढ़ रहे हादसों और स्पष्ट इंश्योरेंस नीति के बारे में पंजाब एंव हरियाणा
हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते करते हुए पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ से जवाब
तलब किया है। हाईकोर्ट ने ट्रैक्टरों के व्यावसायिक उपयोग पर भी चिंता
जताई और इस मामले में कोर्ट ने हरियाणा के एडीजीपी ट्रैफिक, पंजाब के
एडीजीपी ट्रैफिक व चंडीगढ़ के एसपी ट्रैफिक चंडीगढ़ को 20 जनवरी तक जवाब
देने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने ट्रैक्टर-ट्राली से बढ़ने वाली दुर्घटनाओं व ट्रैक्टर के
बीमा की कोई ठोस नीति न होने पर चिंता जताई। पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट
के जस्टिस राजेश बिंदल ने ऐसे मामले में मुआवजे में होने वाली परेशानी से
बचाने व इस मामले में कोई ठोस नीति बनाने के लिए हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़
को नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट ने इस बात पर चिंता प्रकट की कि हरियाणा व पंजाब में
ट्रैक्टरों का बीमा न होने के कारण भारी संख्या में ट्रैक्टर-ट्राली
व्यवसायिक कार्य करते हैं। इस कारण रोजाना सड़कों पर हादसे बढ़ रहे हैं। इन
सड़क हादसों से पीड़ित लोगों को उचित मुआवजा इसलिए नहीं मिल पाता कि
ट्रैक्टर ट्राली का बीमा नहीं होता। इस कारण पीड़ितों को मुआवजे के लिए
भटकना पड़ता है। अगर कुछ मुआवजा मिलता भी है, तो वह पर्याप्त नहीं होता।
क्योंकि अधिकतर मामलों में ट्रैक्टर-ट्राली मालिक के पास और कोई संपति
नहीं होती और उसे ट्रैक्टर-ट्राली को बेचकर पीड़ित को मुआवजा देना पड़ता है।
हाईकोर्ट ने यह आदेश एक व्यक्ति की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी
किया जिसने जिला अदालत के उस फैसले को चुनौती थी जिसमें उसके ट्रैक्टर से
दुर्घटना होने से घायल व्यक्ति की पूरी मुआवजा राशी देने के आदेश दिए थे।
याचिकाकर्ता का कहना था कि उसके ट्रैक्टर को एक मोटरसाइकिल सवार ने सामने
से टक्कर मारी थी, इस हालत में उसका क्या दोष है और वह इतना मुआवजा कैसे
दे।
हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़
प्रशासन से जवाब मांगा है कि जो ट्रैक्टर-ट्राली खेती के अलावा व्यावसायिक
कार्य के लिए सड़क पर उतरते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।
कोर्ट ने हरियाणा के एडीजीपी ट्रैफिक, पंजाब के एडीजीपी ट्रैफिक व चंडीगढ़
के एसपी ट्रैफिक चंडीगढ़ को कोर्ट में पेश होकर यह बताने का भी आदेश दिया
कि उन्होंने ऐसे मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने कहा
कि अगर ट्रैक्टर-ट्राली के बीमा बारे कोई नीति बनती है तो इससे ट्रैक्टर
ट्राली के मालिक को मुआवजा देने के लिए अपनी जमीन या ट्रैक्टर नहीं बेचना
पड़ेगा और मुआवजे का बोझ ट्रैक्टर मालिक पर नहीं पड़ेगा और मुआवजा बीमा
कंपनी देगी। इससे पीड़ित परिवार को समय पर उचित मुआवजा मिलने का आसार रहेगा।