उरई (जालौन)। जालौन को अभी ई जनपद की श्रेणी में नहीं रखा गया है।
सरकार ने प्रयोग के तौर पर छह जनपदों को इस योजना में सम्मिलित किया है।
यदि इसमें सफलता मिली तो आय व जाति प्रमाण पत्र बनवाने वालों को तहसील के
चक्कर काटकर समय बर्बाद नहीं करना पड़ेगा साथ ही उन्हे दलालों, बिचौलियों
की ठगी से भी निजात मिलेगी। फिलहाल तहसील में प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर
मारामारी मची रहती है।
विद्यालयों में दाखिले के समय समस्या और भी गंभीर हो जाती है। जल्द
प्रमाणपत्र बनवाने का झांसा देकर बिचौलिये छात्र-छात्राओं को ठगते है।
लोगों को रिपोर्ट लगवाने के लिये लेखपालों की चिरौरी करने के साथ दक्षिणा
भी चढ़ानी पड़ती है उस पर समय से काम हो जाये तो बड़ी बात समझो। कई बार तो
काउंटर पर लोग आपस में ही झगड़ पड़ते है यहां तक कि मारपीट की नौबत भी आ
जाती है। तहसीलों में कार्यरत बाबुओं, लेखपालों को किसी से भी शिकायत का
भय नहीं रहता वे खुलेआम मनमर्जी चलाते है। सूचना एवं विज्ञान अधिकारी
कृष्णमोहन का कहना है कि ई जनपद बनने के बाद स्थिति में सुधार संभव है।
अभी गौतमबुद्ध नगर, गोरखपुर, गाजियाबाद, सीतापुर, रायबरेली, सुल्तानपुर ई
जनपद बनाये गये है। उन्होंने बताया कि यह सुविधा लागू हो गयी तो लोगों का
समयबद्ध तरीके से काम होगा। कंप्यूटर में फार्म फीड होने पर अगर तीन दिन
का समय मिला तो निर्धारित दिन प्रमाणपत्र प्राप्त हो जायेंगे लेकिन
रिपोर्ट वगैरह लगाने का काम लेखपाल का ही रहेगा।