दुमका। दावा पर दावा.। पर एक मादा एनोफिलिस मच्छर छह फीट के खालिस जवान को
मौत की नींद सुला रही है. या फिर खाट तक पहुंचा रही है। सरकारी आंकड़े में
अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि ब्रेन मलेरिया से होने की है लेकिन यह
आंकड़ा आधा दर्जन से ऊपर पहुंच चुका है। आतंक ऐसी कि इसके गिरफ्त में आने
वालों की संख्या में रोज इजाफा हो रहा है। दरअसल स्वास्थ्य महकमा के दावा,
दवा और दरखास्त पर एक मादा एनोफिलिस मच्छर भारी है। यह भी कि लाखों नहीं
करोड़ों की खर्च पर भी आदमी की जान सस्ती है और अदना-सा मच्छरों की खूनी
ताकत के सामने सब कुछ बेमानी। सतही तौर पर जो बातें सामने आ रही है कम से
कम इससे तो यही साबित होता है कि ब्रेन मलेरिया पर रोकथाम के सारे दावों
पर मच्छरों का आतंक भारी है। यहां बता दें कि दुमका जिला ब्रेन मलेरिया के
मामले में ‘हाई-रिस्क’ जोन घोषित है। विभागीय सूत्रों पर भरोसा करे तो
तमाम अमला-जमला लगा है ब्रेन मलेरिया को काबू करने के लिये। सिर्फ
स्वास्थ्य महकमा ही नहीं कई एक विभाग भी ब्रेन मलेरिया से बचने व बचाने के
लिये लगे हैं। सिर्फ मलेरिया विभाग के पास अपनी टीम में प्रभारी मलेरिया
पदाधिकारी समेत केन्द्र सरकार के स्तर से नियुक्त दो प्रशिक्षित कंसलटेट,
पांच मलेरिया इंस्पेक्टर, चार एमटीएस, दो लैब टेक्नीसियन और 62
एम.पी.डब्ल्यु की ‘फूल-फ्लेजेड’ टीम है। अलबत्ता परोक्ष-अपरोक्ष ब्रेन
मलेरिया व मलेरिया को रोकने के लिये क्षेत्रों में कम से कम त्रिस्तरीय
व्यवस्था काम कर रही है। जिसमें स्वास्थ्य महकमा के अलावा बाल विकास
परियोजना विभाग, पेयजल स्वच्छता विभाग एवं शिक्षा महकमे के लोग शामिल है।
इसके बाद भी ताजा रिपोर्ट यह कि ब्रेन मलेरिया थमने का नाम नहीं ले रहा।
स्कूली छात्राएं से लेकर डयूटि पर तैनात जवानों को भी मच्छर रानी अपना
शिकार बना रही है। अनुसूचित जनजातीय आवासीय विद्यालय आसनसोल में ब्रेन
मलेरिया पसरने की ताजा घटना है। जांच के दौरान यहां 20 छात्राएं पीएफ की
चपेट में पायी गयीं। ग्रामीण इलाकों की स्थिति और भी भयावह है। मसलिया,
काठीकुंड, जामा, शिकारीपाड़ा, गोपीकांदर समेत कई क्षेत्रों में दर्जनों की
संख्या में लोग इस बीमारी के चपेट में है। जिला मलेरिया पदाधिकारी
पी.पी.मिश्र कहते है कि ब्रेन मलेरिया से अब तक चार मौत हुयी है लेकिन
संभव है श्री मिश्र या सरकारी आंकड़ों से जमीनी सच्चाई अलग हो तो आश्चर्य
की बात नहीं। श्री मिश्र कहते है कि ब्रेन मलेरिया की स्थिति पर महकमा
गंभीर है। दवा की कोई कमी नहीं है। पीड़ित मरीजों का इलाज तत्परता से किया
जा रहा है। यही वजह है कि कल तक सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या
में कमी हुयी है। श्री मिश्र के मुताबिक सदर अस्पताल में ब्रेन मलेरिया के
इलाजरत मरीजों की संख्या घट कर रविवार को एक दर्जन से नीचे आ गयी है। यह
बेहतर कंट्रोल के संकेत है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पीड़ितों की हालत में
तेजी से सुधार हो रहा है। इधर इस मामले में जिला प्रशासन से लेकर राज्य की
शासन भी लगातार मानीटरिंग करने में लगीहै।
मौत की नींद सुला रही है. या फिर खाट तक पहुंचा रही है। सरकारी आंकड़े में
अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि ब्रेन मलेरिया से होने की है लेकिन यह
आंकड़ा आधा दर्जन से ऊपर पहुंच चुका है। आतंक ऐसी कि इसके गिरफ्त में आने
वालों की संख्या में रोज इजाफा हो रहा है। दरअसल स्वास्थ्य महकमा के दावा,
दवा और दरखास्त पर एक मादा एनोफिलिस मच्छर भारी है। यह भी कि लाखों नहीं
करोड़ों की खर्च पर भी आदमी की जान सस्ती है और अदना-सा मच्छरों की खूनी
ताकत के सामने सब कुछ बेमानी। सतही तौर पर जो बातें सामने आ रही है कम से
कम इससे तो यही साबित होता है कि ब्रेन मलेरिया पर रोकथाम के सारे दावों
पर मच्छरों का आतंक भारी है। यहां बता दें कि दुमका जिला ब्रेन मलेरिया के
मामले में ‘हाई-रिस्क’ जोन घोषित है। विभागीय सूत्रों पर भरोसा करे तो
तमाम अमला-जमला लगा है ब्रेन मलेरिया को काबू करने के लिये। सिर्फ
स्वास्थ्य महकमा ही नहीं कई एक विभाग भी ब्रेन मलेरिया से बचने व बचाने के
लिये लगे हैं। सिर्फ मलेरिया विभाग के पास अपनी टीम में प्रभारी मलेरिया
पदाधिकारी समेत केन्द्र सरकार के स्तर से नियुक्त दो प्रशिक्षित कंसलटेट,
पांच मलेरिया इंस्पेक्टर, चार एमटीएस, दो लैब टेक्नीसियन और 62
एम.पी.डब्ल्यु की ‘फूल-फ्लेजेड’ टीम है। अलबत्ता परोक्ष-अपरोक्ष ब्रेन
मलेरिया व मलेरिया को रोकने के लिये क्षेत्रों में कम से कम त्रिस्तरीय
व्यवस्था काम कर रही है। जिसमें स्वास्थ्य महकमा के अलावा बाल विकास
परियोजना विभाग, पेयजल स्वच्छता विभाग एवं शिक्षा महकमे के लोग शामिल है।
इसके बाद भी ताजा रिपोर्ट यह कि ब्रेन मलेरिया थमने का नाम नहीं ले रहा।
स्कूली छात्राएं से लेकर डयूटि पर तैनात जवानों को भी मच्छर रानी अपना
शिकार बना रही है। अनुसूचित जनजातीय आवासीय विद्यालय आसनसोल में ब्रेन
मलेरिया पसरने की ताजा घटना है। जांच के दौरान यहां 20 छात्राएं पीएफ की
चपेट में पायी गयीं। ग्रामीण इलाकों की स्थिति और भी भयावह है। मसलिया,
काठीकुंड, जामा, शिकारीपाड़ा, गोपीकांदर समेत कई क्षेत्रों में दर्जनों की
संख्या में लोग इस बीमारी के चपेट में है। जिला मलेरिया पदाधिकारी
पी.पी.मिश्र कहते है कि ब्रेन मलेरिया से अब तक चार मौत हुयी है लेकिन
संभव है श्री मिश्र या सरकारी आंकड़ों से जमीनी सच्चाई अलग हो तो आश्चर्य
की बात नहीं। श्री मिश्र कहते है कि ब्रेन मलेरिया की स्थिति पर महकमा
गंभीर है। दवा की कोई कमी नहीं है। पीड़ित मरीजों का इलाज तत्परता से किया
जा रहा है। यही वजह है कि कल तक सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या
में कमी हुयी है। श्री मिश्र के मुताबिक सदर अस्पताल में ब्रेन मलेरिया के
इलाजरत मरीजों की संख्या घट कर रविवार को एक दर्जन से नीचे आ गयी है। यह
बेहतर कंट्रोल के संकेत है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पीड़ितों की हालत में
तेजी से सुधार हो रहा है। इधर इस मामले में जिला प्रशासन से लेकर राज्य की
शासन भी लगातार मानीटरिंग करने में लगीहै।