सरकार ने सरकारी भूमि से खनन करने वाले सभी स्टोन क्रशरों पर पूरी तरह से
पाबंदी लगा दी है। जब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तब तक किसी
भी स्टोन क्रशर मालिक के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा।
इसी तरह नए लाइसेंस जारी करने पर भी विभाग ने रोक लगा दी है। राज्य में
वर्तमान में लगभग 300 स्टोन क्रशर खनन कर रहे हैं और इस निर्णय की वजह से
सरकार ने अभी तक 65 स्टोन क्रशर जब्त कर लिए हैं। राज्य सरकार का यह
निर्णय प्राइवेट जमीन पर खनन कर रहे स्टोन क्रशर पर लागू नहीं होगा।
सरकार के इस निर्णय से प्रभावित अधिकतर स्टोन क्रशर कांगड़ा जिला के
डमटाल क्षेत्र, हमीरपुर और ऊना जिले के हैं। विदित रहे कि स्टोन क्रशर से
पर्यावरण को नुकसान और नियमों की अवहेलना को देखते हुए हाईकोर्ट में एक
याचिका दायर की गई थी और इस पर सुनाए गए फैसले में केवल उन्हीं स्टोन
क्रशर को चलाए जाने की इजाजत देने के निर्देश दिए गए थे जो निर्धारित
मापदंडों को पूरा करते हों।
इस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर अभी
तक फैसला नहीं सुनाया गया है और न ही राज्य सरकार को कोई राहत प्रदान की
गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के स्टे को बरकार रखा है।
उद्योग विभाग के स्टेट जियोलोजिस्ट अरुण शर्मा का मानना है कि प्रदेश
सरकार ने इस मामले में एतिहयात बरतते हुए पिछले हफ्ते ही सरकारी भूमि पर
खनन करने वाले स्टोन क्रशरों पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं जिन्हें
विभाग द्वारा जल्द अमल में लाया गया है।